मप्र के एक मुस्लिम आईएएस नियाज खान ने विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल की तारीफ करते हुए भारत में बजरंग दल को नैतिक पुलिस का दर्जा देने की सलाह दे दी है। उनका मानना है कि बजरंग दल ही है जो देश में जानवरों पर होने वाली हिंसा और भारतीय संस्कृति व सरोकारों की रक्षा कर सकता है। जिस तरह ईरान में इस्लामिक संस्कारों की रक्षा के लिए नैतिक पुलिस का प्रावधान है, वैसा ही भारत में होना चाहिए। आईएएस ने यह सलाह किसी सरकारी फाइल या अपने बयान में नहीं दी है, बल्कि बताया जाता है कि उनकी आने वाली नई पुस्तक “द ग्रेट ब्राह्मण” के जरिए भारत सरकार को यह सलाह दी गई है। अब नियाज खान के बारे में जान लीजिए। वे पीडब्ल्युडी के उप सचिव हैं। उनके सात उपन्यास आ चुके हैं। उनकी सबसे चर्चित पुस्तक “द ग्रेट ब्राह्मण” अगले वर्ष जनवरी में आने की उम्मीद है। खबर आ रही है कि इस पुस्तक के लिए नियाज खान ने सनातन धर्म की अनेक पुस्तकों का गहराई से अध्ययन किया है।
क्या छुपे रूस्तम साबित हो सकते हैं सुलेमान!
मप्र में नये प्रशासनिक मुखिया यानि मुख्यसचिव की कुर्सी पर किस अफसर की ताजपोशी होगी, इसे लेकर अटकलों का बाजार एकदम तेज हो गया है। अभी तक अटकलें लगाई जा रही थीं कि मौजूदा मुख्यसचिव को एक्सटेंशन दिया जाएगा, लेकिन अब एक्सटेंशन की संभावनाएं समाप्त बताई जा रही हैं। चर्चा है कि शिवराज सिंह चौहान के सबसे विश्वसनीय आईएएस अनुराग जैन हैं। सुधीर सक्सेना की तरह अनुराग जैन को एनवक्त पर बुलाकर मुख्यसचिव बनाया जाना तय है। लेकिन अब भाजपा और संघ में बदले तेवर देखकर अटकलें शुरू हो गई हैं कि मोहम्मद सुलेमान इस पद के लिए छुपे रूस्तम साबित हो सकते हैं। भाजपा व संघ का अचानक मुस्लिम प्रेम जाग गया है। इधर खबर आ रही है कि मोहम्मद सुलेमान ने भी मुख्य सचिव बनने के लिए हरसंभव प्रयास शुरु कर दिए हैं। मोहम्मद सुलेमान की सबसे बड़ी पूंजी है कि शिवराज सिंह चौहान उन्हें पसंद करते हैं। उनके मुख्यसचिव बनने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा उनकी जाति थी। यदि यह बाधा हट तो सुलेमान की लाटरी लग सकती है।
सिंधिया के चहेते दो आईपीएस सरकार के निशाने पर
मप्र में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के चहेते दो वरिष्ठ आईपीएस अफसर सरकार के निशाने पर हैं। राज्य सरकार इनसे इतनी नाराज है कि इन्हें पोस्टिंग देने को तैयार नहीं है। मंत्रालय में चर्चा है कि शिवराज सिंह चौहान के सीएम रहते यह दोनों अफसर बिना पोस्टिंग के रिटायर हो जाएंगे। अनिल शर्मा को 14 मई को ग्वालियर आईजी पद से हटाया गया था। उन्हें आजतक पोस्टिंग नहीं दी गई है। चर्चा है कि सिंधिया की सिफारिश पर शर्मा को ग्वालियर आईजी बनाया गया था। इसी तरह सिंधिया के बेहद नजदीक माने जाने वाले डीजी स्तर के आईपीएस मुकेश जैन को परिवहन आयुक्त के पद से 16 जुलाई को हटाया गया था, लेकिन आज तक पोस्टिंग नहीं दी गई है। जैन को भी सिंधिया की सिफारिश पर परिवहन आयुक्त बनाया गया था। अनिल शर्मा अगले वर्ष अप्रेल में और मुकेश जैन जुलाई में रिटायर हो जाएंगे।
मप्र के प्रशासनिक हलकों में पर्चे के चर्चे!
मप्र के वरिष्ठ प्रशानिक अधिकारियों में किस तरह तलवारें खींची हुई हैं इसका अंदाज पिछले एक महीने से प्रशासनिक हलकों में बंट रहे बेनामी पर्चे हैं। पहले 4 पेज का पर्चा हिन्दी में आया जिसमें मप्र के लगभग 18 अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर लेकिन बेबुनियाद आरोप लगाये गए। सरकार का खुफिया तंत्र ऐसे पर्चे बनाने और सोशल मीडिया के जरिए बांटने वालों को पकड़ पाता, इसके पहले ही अंग्रेजी में लिखा दो पेज का बेनामी पर्चा सोशल मीडिया पर चलने लगा है। इस पर्चे को पढ़कर सहज अंदाज लगाया जा सकता है कि इसके पीछे रिटायर वरिष्ठ आईएएस अफसरों का दिमाग हो सकता है, जो मौजूदा प्रशासनिक मुखिया की सख्त कार्रवाई से दुखी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम लिखे गए नये पर्चे में कुछ जानकारियां ऐसी हैं जो बेहद खास अफसरों को ही मालूम रहती हैं। ऐसे पर्चों से अफसरों के कामकाज पर विपरीत प्रभाव तो पड़ता ही है। अफसरों में जबर्दस्त गुटबाजी भी बढ़ रही है।
बेरोजगारों से सरकारी धोखाधड़ी!
मप्र में बेरोजगारों के साथ धोखाधड़ी का एक बड़ा सनसनीखेज मामला सामने आया है। सरकारी एजेंसी सेडमैप ने पंचायती राज विभाग के 1144 पदों के लिए बेरोजगारों से आवेदन आमंत्रित किए। एक लाख 17 हजार बेरोजगारों से प्रति आवेदन 650 रुपए के हिसाब से 7 करोड़ 60 लाख रुपए बसूले गये। लगभग 11 हजार बेरोजगारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। हजारों रुपए खर्च कर बेरोजगार इंटरव्यू देने आए। इसके बाद घोषणा कर दी गई कि पंचायत राज विभाग ने यह भर्तियां निरस्त कर दी हैं। अब हजारों बेरोजगार सेडमैप और पंचायतीराज विभाग के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है। यह बेरोजगारों के साथ मजाक के साथ साथ धोखाधड़ी भी है। जिम्मेदार अफसरों पर धोखाधड़ी की एफआईआर होना चाहिए!
भाजपा नेता पर डकैती के आरोप से संगठन खफा!
मप्र में बीते 20 वर्ष में पहली बार ऐसा हो रहा है कि भाजपा की सरकार में ही ग्वालियर पुलिस ने भारतीय जनता युवा मोर्चे के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य विक्कू राजावत पर डकैती और सरकारी काम में बाधा डालने सहित कलेक्टर के गनमैन का हथियार छीनने के प्रयास की धाराएं लगा दी हैं। चर्चा है कि इस एफआईआर के बाद भाजपा संगठन ने ग्वालियर जिला प्रशासन के प्रति नाराजगी व्यक्त की है। भाजपा नेता विक्कू राजावत को ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक माना जाता है। आरोप है कि 15 सितंबर को मुख्यमंत्री की ग्वालियर यात्रा के दौरान उसकी कलेक्टर और उनके गनमैन से झूमाझटकी हुई थी। जिला प्रशासन ने 3 दिन तक कोई कार्रवाई नहीं की। अचानक विक्कू राजावत के खिलाफ गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज कर लिया गया। भोपाल पहुंची खबरों के अनुसार संगठन ने पुलिस की इस कार्रवाई को अतिरंजित माना है। यही कारण है कि डकैती की धाराओं के बाद भी विक्कू राजावत के खिलाफ संगठन स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। संगठन के रूख को देखते हुए अब जिला प्रशासन भी इस मामले को रफा-दफा करने के मूड में बताया जा रहा है।
और अंत में…!
इंदौर शहर ने भोपाल से अमीरी का ताज भी छीन लिया है। देश के सबसे स्वच्छ शहरों में भोपाल कभी इंदौर से आगे नहीं निकल सका। पिछले वर्ष भोपाल को इस बात पर गर्व था कि मप्र के दो सबसे अमीर व्यवसायी दिलीप सूर्यवंशी (4100 करोड़) व देवेन्द्र जैन (2300 करोड़) भोपाल के थे, लेकिन इस वर्ष इंदौर ने भोपाल की यह उपलब्धि भी छीन ली। अब मप्र के तीन सबसे अमीर विनोद अग्रवाल (6000 करोड़), सुनील चौरसिया (4100 करोड़), और मनीष डबकारा (3500) इंदौर के हैं। दिलीप बिल्डकाॅन के शेयर के भाव गिरने से दिलीप सूर्यवंशी और देवेन्द्र जैन की सम्पत्ति लगभग आधी रह गई है। अमीरों की सूची के अनुसार दिलीप सूर्यवंशी की सम्पति 2000 करोड़ और देवेन्द्र जैन की सम्पति 1200 करोड़ रह गई है।