• img-fluid

    स्ट्रीट के लिए लाईट, पौधों के लिए ट्री-गार्ड और कुर्सियां तक नहीं निगम के पास

  • September 26, 2022

    • चुनाव जीते पार्षद भी वार्ड के नागरिकों की मांग को पूरा नहीं कर पा रहे-सामान से लेकर मद नहीं होने का दे रहे हवाला

    उज्जैन। कोरोना के कारण दो साल देरी से हुए नगर निगम के चुनाव जीतने के बाद भी सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक के पार्षदों के पास नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी मांग को पूरा करने के लिए कोई संसाधन नहीं है। जवाब के नाम पर फिर नगर निगम की कंगाली का हवाला दिया जा रहा है। चुनाव जीतने के बाद भी पार्षद अपने वार्ड में छोटे-छोटे काम तक नहीं करा पा रहे हैं।
    कोरोना महामारी के कारण नगर निगम लगभग दो साल तक जनप्रतिनिधि विहीन रहा। इस अवधि में पूरे देश में दो बार बड़ा लॉकडाउन लगा। सभी व्यवसाय ठप रहे। राज्य शासन के पास भी उज्जैन नगर निगम को दिए जाने वाले अनुदान राशि के खजाने खाली हो गए थे। ऐसे में करीब दो साल तक नगर निगम का संचालन अधिकारी संपत्ति व अन्य कर से प्राप्त राशि से ही चलाते रहे। इधर खस्ताहाल होने के बाद नगर निगम से जुड़े ठेकेदारों की करोड़ों की देनदारी बढ़ती गई। यही कारण रहा कि नगर निगम के कई बड़े प्रोजेक्ट तो दूर गली-मोहल्लों में होने वाले नाली निर्माण, गड्ढे भराव जैसे काम भी ठेकेदारों ने बंद कर दिए थे। इसके बाद हालात सामान्य होने लगे फिर भी नगर निगम के खजाने में आय नहीं बढ़ी। कुछ माह पहले नगरीय निकाय चुनाव भी हो गए। लोगों की उम्मीद थी कि क्षेत्र के जीते हुए पार्षद वार्डों में दो साल से रूके हुए काम तेजी से कराएंगे, लेकिन स्थिति वैसी ही है जो चुनाव के पहले थी।



    सबका एक ही जवाब
    शहर के नागरिकों का कहना है कि दो साल बाद नगर निगम का बोर्ड बना है। वार्ड के जीते हुए पार्षद से कॉलोनी में उद्यान के लिए कुर्सियां, स्ट्रीट लाईट और पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री-गार्ड की व्यवस्था नगर निगम द्वारा कराए जाने की मांग की जा रही है। जीते हुए तथा सत्तापक्ष के पार्षद भी इन मूलभूत कार्यों को पूर्ण कराने में ऐसी असमर्थता जता रहे हैं मानो वह सत्तापक्ष के नहीं विपक्ष के हों। सभी इन कार्यों को एक ही जवाब देकर कराने से इंकार कर रहे हैं कि नगर निगम के पास न तो ट्री-गार्ड हैं और न ही कुर्सियां। स्ट्रीट लाईट के लिए प्रकाश विभाग के पास एलईडी भी नहीं हैं। अंत में निगम में मद नहीं होने का तर्क दिया जा रहा है।

    Share:

    ट्रैफिक पुलिस का 'मिशन बुलेट' बिगाड़ रहा लोगों का बजट

    Mon Sep 26 , 2022
    जुर्माने के नाम पर चुकाने पड़ रहे सात से दस हजार रुपए भोपाल। राजधानी में ट्रैफिक पुलिस का मिशन बुलेट अब लोगों का बजट बिगाडऩे लगा है। दरअसल ट्रैफि क पुलिस बुलेट के मॉडीफ ाइड सायलेंसर को लेकर कोर्ट चालान कर मामला न्यायालय भेज देती है। जिसका खामियाजा लोगों को सात से दस हजार रुपए […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    मंगलवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved