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सालों से विसर्जन के इंतजार में दिवंगतों के आस्था के फूल

September 25, 2022

  • परिजन रख कर भूले…पंचकुइया मुक्तिधाम में हजारों की संख्या में एकत्र हुए अस्थि कलश
  • सर्वपितृ अमावस्या पर विशेष

इन्दौर, नीलेश राठौैर। आज सर्वपितृ अमावस्या है, जिसे हम पितृ विसर्जनी अमावस्या के नाम से भी जानते हैं। आज के दिन 16 दिवसीय श्राद्धपक्ष की समाप्ति होती है। आज के दिन सभी घरों में पिंडदान और पूजन कर विदाई दी जाती है, मगर पंचकुइया मुक्तिधाम पर सालों से दिवंगत हुए कई लोगों की अस्थियां (फूल) आज भी विजर्सन की राह देख रहे हैं।

आमतौर पर लोग अपने मृतक परिजन के शवों की अंत्येष्टि के बाद शेष रहे अस्थि फूल को एकत्र कर नर्मदा, शिप्रा या गंगा नदी में विसर्जित कर मोक्ष की कामना करते हैं, लेकिन कुछ लोग अपने परिजनों की अस्थि फूलों में से कुछ फूल एकत्र कर मुक्तिधाम में बने अस्थि संचय कक्ष में हरिद्वार या अन्य किसी पवित्र स्थान पर विसर्जन के लिए रखकर चले जाते हैं। इनमें से कुछ लोग तो अपने परिजनों के अस्थि फूलों को समय अनुसार ले जाकर पवित्र नदियों में विसर्जित कर देते हैं, मगर शहर में ऐसे भी लोग मौजूद हैं, जो अपने दिवंगत परिजनों के अस्थि फूलों को मुक्तिधाम के अस्थि कलश कक्ष में रखकर भूल गए, जो अब बदतर स्थिति में पहुंच गए हैं।

अग्निबाण की टीम जब कल पंचकुइया मुक्तिधाम में बने अस्थि संचय करने के पुराने कक्ष में पहुंची तो वहां का नजारा आत्मा को झकझोरने वाला दिखा। जिन लोगों ने अपने परिजनों के अस्थि फूलों को बड़ी आस्था के साथ एकत्र किया था, उन्हीं की अनदेखी के चलते वह अब वहीं बदतर स्थिति में टंगे हुए हैं, जिनमें कुछ अस्थि कलश जो टीन के डिब्बों में पर्ची रखकर कक्ष में रखे गए थे, उनके टीन के डिब्बे तक पूरी तरह सड़ चुके हंै, मटकियां फूट चुकी हैं, कपड़े तक तार-तार हो चुके हैं। अब देखना यह है कि न जाने कब विसर्जन की बेला आएगी और उन हजारों की संख्या में रखे अस्थि फूलों को टीन के डिब्बों और कपड़़ंो की चिन्दियों से मोक्ष मिल पाएगा।


कोरोना काल में छोटा पड़ गया था नया अस्थि संचय कक्ष
मुक्तिधाम के गोपाल बोरवाल के अनुसार सामान्य दिनों में मृतक के परिजन शवों की अत्योष्टि कर अस्थि संचय कर उन्हें नदियों में विसर्जन कर देते हैं, मगर कोरोना काल में आए मौत के सैलाब में पंचकुइया मुक्तिधाम में होने वाले शवों की अंत्येष्टि के बाद शहर में लगे लॉकडाउन के चलते नए बनाए गए अस्थि संचय कक्ष में भी करीब 2 हजार से ज्यादा अस्थि कलशों को रखा गया था, जिससे विशाल कक्ष भी बोना दिखाई देने लगा था। आज भी इस कक्ष में करीब डेढ़ हजार अस्थि कलश रखे हुए हैं, जिनमें से कई कोरोना काल के हैं।

अस्थि फूलों के विसर्जन को लेकर बनाएंगे नियम
मुक्तिधाम जीर्णोद्धार ट्रस्ट के वैभव बाहेती और खेमराज बेगड़े ने चर्चा के दौरान अग्निबाण को बताया कि वह समिति के सदस्यों के मतानुसार अस्थि संचय कक्ष में एकत्र किए जाने वाले अस्थि फूलों के विसर्जन को लेकर कुछ नियम बनाने की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें एक समय निर्धारित किया जाएगा, जिसमें परिजन अपने दिवगंतों के अस्थि फूलों को विसर्जन के लिए ले जाएंगे।

पहले मुक्तिधाम में बड़े से वृक्ष की शाखा पर बांधते थे अस्थि फूलों को
पंचकुइयां मुक्तिधाम के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाने वाले स्व. प्रेम बाहेती ने अपने प्रयासों से पंचकुइया मुक्तिधाम को पूरे शहर और प्रदेश में एक नई पहचान दिलवाई। बाहेती के पुत्र वैभव के अनुसार सालों पहले मुक्तिधाम में अस्थि कलश को रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। इस पर परिजन अपने दिवगंतों के अस्थि फूलों को मुक्तिधाम में एक विशाल वृक्ष की शाखाओं पर बांधते थे, जहां से अस्थि फूलों के गायब होने का डर हमेशा बना रहता था। स्वर्गीय पिताजी ने तब इस व्यवस्था को सुधारने के लिए एक कक्ष अस्थि संचय के नाम से राजोरिया परिवार की सहायता से बनवाया था, जिसमें करीब 20 सालों से अस्थि संचय किया जा रहा था। हाल ही में 2020 में एक नया अस्थि कक्ष बनाया गया है।

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