जिनेवा। चीन (China) ने ताइवान (Taiwan) पर अपने दावे को लेकर प्रतिबद्धता रेखांकित करते हुए शनिवार को विश्व नेताओं से कहा कि जो कोई भी स्वशासित द्वीप एकीकरण के उसके संकल्प के रास्ते में आएगा, उसे करारा जवाब (Retort) का सामना करना पड़ेगा। चीन ताइवान पर अपने दावे का जोरदार बचाव करता है। ताइवान 1949 के गृहयुद्ध (civil war of 1949) के बाद चीन से अलग हो गया था। चीन बराबर ताइवान पर अपना दावा ठोकते रहता है और उसे अपने प्रांतों में से एक के रूप में देखता है।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Foreign Minister Wang Yi) ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में कहा, ‘जब चीन एकीकृत हो जाएगा तभी ताइवान सागर क्षेत्र में सच्ची शांति हो सकती है। बाहरी हस्तक्षेप पर जवाब देने के लिए सबसे सशक्त कदम उठाएगा।’ अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान की हालिया यात्रा से अमेरिका और चीन के बीच तनाव और बढ़ा है। चीन के लिए ताइवान देश की नीति का मुख्य मुद्दा रहा है।
अमेरिका पर लगाया है गंभीर आरोप
चीन ने शुक्रवार को अमेरिका पर ताइवान के मसले पर बहुत गलत और खतरनाक संकेत भेजने का आरोप लगाया है। एक अमेरिकी अधिकारी ने मीडिया को बताया कि शुक्रवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई 90 मिनट की वार्ता में ताइवान पर ध्यान केंद्रित किया गया। अधिकारी ने कहा, हमारे विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि हमारी लंबे समय से चली आ रही चीन नीति में फिर से कोई बदलाव नहीं किया गया है।
व्हाइट हाउस भी दे चुका है जवाब
व्हाइट हाउस ने जोर देकर कहा है कि उसकी ताइवान नीति नहीं बदली है लेकिन चीन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की टप्पिणी ने स्वतंत्र ताइवान की मांग करने वालों को गलत संकेत दिया। चीन ने लंबे समय से ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने का दावा किया है और ऐसा करने के लिए बल प्रयोग से इंकार नहीं किया है। ताइवान की सरकार चीन की संप्रभुता के दावों पर कड़ी आपत्ति जताती है और कहती है कि केवल द्वीप के दो करोड़ 30 लाख लोग ही इसका भवष्यि तय कर सकते हैं।
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