नई दिल्ली। खरीफ सीजन (Kharif season) में धान के उत्पादन में कमी (Decrease in production of paddy) और चावल की कीमतों में तेजी (Rise in rice prices) की आशंका के बीच सरकार ने कहा कि है घरेलू बाजार (domestic market) में चावल (rice) की खुदरा कीमतें नियंत्रण में रहेंगी। उपभोक्ता, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध और इसके पर्याप्त भंडार से इसमें मदद मिलेगी।
खाद्य मंत्रालय का यह बयान शुक्रवार को उसके तथ्य पत्रक जारी करने के एक दिन बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि घरेलू बाजार में चावल की कीमतों में वृद्धि के संकेत दिख रहे हैं। मंत्रालय ने कहा कि टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर सरकार ने घरेलू खाद्य सुरक्षा, पोल्ट्री और पशुओं के लिए घरेलू चारे की उपलब्धता को सफलतापूर्वक सुनिश्चित किया है। इसके साथ ही चावल की घरेलू कीमतों पर भी नियंत्रण रखा है।
मंत्रालय के मुताबिक चावल और गेहूं की अखिल भारतीय घरेलू थोक कीमतों में इस हफ्ते क्रमशः 0.08 फीसदी और 0.43 फीसदी की गिरावट आई है। उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार आज चावल का औसत खुदरा मूल्य 37.65 रुपये प्रति किलोग्राम था। दरअसल सरकार ने इस महीने की शुरुआत में टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जबकि गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी का निर्यात शुल्क लगाया था।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए धान का एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) 5.15 फीसदी बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जबकि फसल वर्ष 2021-22 में यह 1,940 रुपये प्रति क्विंटल था। इसके अलावा धान की ‘ए’ ग्रेड किस्म का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,960 रुपये से बढ़ाकर 2,060 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। (एजेंसी, हि.स.)
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