– कलेक्टर की जांच कमेटी ने उजागर किए स्वास्थ्य विभाग में गबन के चौंकाने वाले तथ्य
– एक दर्जन से ज्यादा के खिलाफ एफआईआर
इंदौर। यह पहला मौका है जब स्वास्थ्य विभाग (Health Department) में इतने बड़े पैमाने पर हुए घोटाले (Scam) की जांच ना सिर्फ प्रशासन (Administration) ने करवाई, बल्कि इसमें लिप्त 13 विभागीय कर्मचारियों (Departmental Employees), फार्मासिस्ट (Pharmacist) से लेकर मेडिकल ऑफिसर (Medical Officer) और स्टोर इंचार्ज (Store Incharge) के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवा दी। आशा हेल्थ डायरी घोटाले (Asha Health Diary scam) की जांच के चलते कलेक्टर मनीष सिंह ( Collector Manish Singh) ने जो जांच कमेटी बनाई उसके प्रतिवेदन के आधार पर अमानत में खयानत, धोखाधड़ी व गबन के प्रकरण दर्ज करवाए गए। फोन पर ही लाखों रुपए की छपाई के ऑर्डर दे डाले, तो बाले-बाले सामग्रियों की सप्लाय करवाई गई और आधी सामग्री तो मिली भी नहीं और भुगतान पूरा करवा दिया गया। इस पूरे घोटाले में शाहरुख उर्फ गुलजार की भूमिका सबसे अधिक उजागर हुई है। अग्निबाण ने ही पिछले दिनों गुलजार के अवैध बंगले से लेकर उसके द्वारा अर्जित अचल सम्पत्तियों का भी खुलासा किया, जिसकी जांच भी प्रशासन और निगम कर रहा है।
पिछले दिनों जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में डायरी छपवाने के संबंध में एक गड़बड़ी सामने आई, जिसके चलते कलेक्टर मनीष सिंह ने दो कर्मचारियों को तो उसी वक्त निलंबित किया। वहीं एक जांच कमेटी भी गठित कर दी, जिसके अध्यक्ष अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर ने स्वास्थ्य विभाग के दफ्तर जाकर दस्तावेजों की जांच की और कई रिकॉर्ड अपने कब्जे में भी लिए। आशा कार्यकर्ताओं के दस्तावेजों की प्रिंटिंग के दस्तावेजों की जांच की गई तो पता चला कि छपाई का आदेश सीएमओ के अनुमोदन से डीपीएम द्वारा दिया गया था, जिसकी जानकारी महेश साहू और जिला लेखा प्रबंधक संजीव पटेल से ली गई और उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेखों की जांच से पता चला कि सीधे संबंधित फर्म को सप्लाय ऑर्डर जारी किया गया और वहीं से सीधे झोन और ब्लॉकों को सामग्री दे दी गई। वेंडर द्वारा प्रस्तुत देयक के आधार पर स्टॉक रजिस्ट्री में प्रविष्टि की जाती है। तत्पश्चात संबंधित झोन और ब्लॉकों से उसकी पावती प्राप्त की जाना चाहिए। लेकिन जांच दल को प्रिंटिंग मटेरियल का भंडारण कहां किया जाता है इसकी कोई जानकारी संबंधित अधिकारी नहीं दे पाए। इसी तरह जिला अस्पताल धार के स्टोर का निरीक्षण करने पर वहां उपस्थित स्टोर इंचार्ज और मेडिकल ऑफिसर डॉ. वीरेन्द्र राजगीर, इंद्रमणी पटेल फार्मासिस्ट और कैलाश तायड़े के भी कथन लिए गए, जिससे पता चला कि कोई भी सामग्री जिला चिकित्सालय के स्टोर में ना तो प्राप्त होती है और ना ही रखी जाती है। इसी तरह नंदानगर झोन की एलडीसी पारुल गुप्ता, मल्हारगंज झोन की श्रीमती छाया सेन, हुकुमचंद झोन की श्रीमती संगीता केथवास और मानपुर के देवकरण चौहान, हातोद के बीसीएम फूलचंद राजोरिया, बेटमा के सीएसई ड्रेसर मगदीराम सोलंकी, देपालपुर सीएसई मोनिका राठौर, देपालपुर के ही फार्मासिस्ट संतोष श्रीवास्तव, सांवेर के विमल चौरसिया और चेतना शर्मा के भी कथन दर्ज किए गए और इन सभी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करवाई, जिसमें गुलजार शेख और शाहरुख शेख के नाम भी शामिल हैं। जिला कम्युनिटी मोबिलाइजर के पद पर पदस्थ श्रीमती सोनल गुर्जर ने बयान दिए कि वे 2013 से दस्तावेजों की प्रिंटिंग का काम देख रही हैं और शाहरुख तथा गुलजार नाम के दो व्यक्ति हैं, जिनके द्वारा वर्षों से विभाग से संबंधित प्रिंटिंग का काम किया जाता है और जब भी जरूरत होती थी तो हमारे द्वारा फोन पर ही किस दस्तावेज की कहां और कितनी मात्रा में आवश्यकता है यह बता दिया जाता था और विधिवत नोटशीट चलाकर मेरे द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित भी किया गया और वरिष्ठ अधिकारी के स्तर से ही प्रिंटिंग हेतु कार्य आदेश जारी किए जाते थे। मैं केवल सामग्री किस जगह और कितनी मात्रा में पहुंचानी है, यह निर्देश फोन पर ही प्रदान करती थी। प्रशासन ने अपनी जांच में पाया कि रजिस्टर और अन्य दस्तावेजों के प्रिंटिंग कार्य में आपराधिक षड्यंत्र रचकर शासन को लाखों रुपए का नुकसान पहुंचाया गया और स्वयं तथा अन्य के साथ संगनमत होकर धन अर्जित भी किया गया। इस पूरे मामले में गुलजार शेख की भूमिका प्रमुख रही और उसका साला शाहरुख भी उसके साथ इस कार्य में सहयोग करता रहा। डॉ. अभय बेड़ेकर ने अपनी जांच में अलग-अलग तारीखों में हुई खरीदी, प्रिंटिंग के आदेशों की जांच की और लगभग सभी में गड़बडिय़ां पाई गई, जिसके चलते कल 13 लोगों के खिलाफ सेंट्रल कोतवाली थाने पर एफआईआर दर्ज करवाई गई।
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