ऐसे समय, जब हर व्यक्ति किसी न किसी उलझन में है, इसी उलझन के बाद तनाव ने हर व्यक्ति के जीवन में स्थायी मुकाम ढूंढ लिया है। आज से कुछ सालों पहले हम पश्चिमी लोगों को लानत भेजते थे कि उन्हें जीवन जीना नहीं आता, वहां रिश्तों की कद्र नहीं है, लेकिन तोहमत लगाने वाले हम लोग ही आज तनावग्रस्त जीवन जी रहे हैं और परिणाम में क्या पा रहे हैं, इस पर बहस की जरूरत नहीं है। खैर, राजू भाई का मौत से संघर्ष कल दम तोड़ गया और दूसरों को हंसाने वाला अपने चहेतों को रुलाकर चला गया। राजू नाम में अपनत्व था। जो उनसे मिलता वो उससे उसी तरह मिलते। उनके सामने कोई बड़ा न छोटा।
ठीक से साल तो याद नहीं है, लेकिन बात बहुत पुरानी है। इंदौर की होटल में राजू से उस समय इंटरव्यू करने का मौका मिला था, जब वे इंदौर में एक बड़ी कोचिंग क्लासेस के कार्यक्रम में प्रस्तुति देने आए थे। तब वे राजू श्रीवास्तव थे, कॉमेडियन भी थे, लेकिन इतने प्रसिद्ध नहीं थे। प्रेस कांफ्रेंस शुरू होने से पहले ही आ गए थे, इसलिए उनके साथ मुलाकात का मौका मिल गया और कई प्रश्न करने का। अपना भी शुरुआती दौर था तो लाजिमी है कि सवालों की लिस्ट और उनको पूछने की ललक ज्यादा थी। शानदार इंटरव्यू हुआ और छपा भी। तारीफ भी मिली। उसके बाद कई बार राजू का इंदौर आना हुआ, लेकिन वे लॉफ्टर शो के बाद स्टैंडिंग कॉमेडी के सेलिब्रिटी बन गए थे, इसलिए व्यक्तिगत मुलाकात कम हुई। हुई भी तो समूह में या फिर वे किसी कार्यक्रम में मेहमान बनकर आए।
अब भला इतनी बड़े सेलिब्रिटी ऐसे ही किसी को याद रखते हैं क्या? राजू में स्टारडम अंत तक नजर नहीं आया और न ही उनकी कॉमेडी किसी के सिर के ऊपर से गई। नहीं तो कई कॉमेडियन आज कुछ घटनाओं में वल्गर शब्दों का उपयोग कर उसे ही कॉमेडी के रूप में पेश कर देते हैं। राजू अपने देहाती अंदाज के बारे में जाने जाते थे और यही बात उन्होंने मेरे सामने फस्र्ट इंटरव्यू में कही थी कि मैं जैसा हूं, वैसा ही रहूं और लोगों के चेहरे पर खुशी फैलाता रहूं। कई फिल्मों में राजू को छोटे-छोटे रोल मिले। उनके चाहने वालों ने तो उन्हें तब पहचाना, जब उन्हें धारावाहिकों से सफलता मिली। राजू का गजोधर वाला डायलाग और ऐ भैया बोलने का अंदाज सबको भाता था। उनके समकालीन कई कॉमेडियन भी आए, लेकिन वे अपने आपको ज्यादा समय तक टिका नहीं पाए।
कारण वही था, कॉमेडी को और कुछ समझ लेना और उसके नाम पर कुछ भी लोगों के सामने परोसना। राजू के निधन की खबर जैसे ही कल सोशल मीडिया पर वायरल हुई, वैसे ही उनका हंसता-मुस्कराता चेहरा याद आया। हर किसी ने यही कहा…ये ठीक नहीं हुआ। आज के जमाने में राजू जैसे किरदार का लोगों से जुड़ाव होना मुश्किल है। कॉमेडियन तो बहुत हैं, लेकिन वे क्षणिक हंसा पाते हैं, लेकिन राजू कुछ ऐसा कर गए, जिससे वो याद रहेंगे और तनावभरी जिंदगी में हंसने का मौका भी देंगे। गजोधर से ये शिकायत तो ताउम्र रहेगी कि अभी तुम्हें बहुत कुछ करना था, लेकिन तुम ऐसे ही चल दिए। -संजीव मालवीय
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