इंदौर। आरडब्ल्यू-4 यानी पश्चिमी रिंग रोड का जो निर्माण किया जाना है उसके लिए प्राधिकरण को लगभग डेढ़ हजार एकड़ पर धार रोड की तरफ नई योजना घोषित करना पड़ेगी। 55 किलोमीटर इस लम्बी सडक़ का निर्माण तीन विभागों द्वारा किया जाएगा। नेशनल हाईवे के साथ-साथ एमपीएसआईडीसी भी सडक़ का एक हिस्सा बनाएगी, तो शेष सडक़ प्राधिकरण द्वारा निर्मित होगी। लिहाजा इससे प्रभावित किसानों ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया और कल उनका प्रतिनिधि मंडल प्राधिकरण भी पहुंचा और अध्यक्ष-सीईओ के साथ चर्चा की।
प्राधिकरण ने लैंड पुलिंग एक्ट के तहत ली जाने वाली जमीन के फायदे भी किसानों को समझाए और कहा कि सडक़ के निर्माण से उनकी जमीनों के भाव कई गुना बढ़ जाएंगे और एक्ट के तहत 50 फीसदी जमीन किसानों को वापस मिल जाएगी। बरलाई जागीर, पीर कनाडिय़ा, रिंगनोदिया, बड़ी कलमेर, हातोद, पिपलिया काकरिया, बोर्डिया सहित लगभग एक दर्जन गांवों की जमीनें इस रोड निर्माण के लिए बनने वाली योजना में ली जाएगी। पीथमपुर से इंदौर जिले की सीमा क्षेत्र के एबी रोड के गांव बड़ौदाअर्जुन तक यह आरडब्ल्यू-4 यानी पश्चिमी रिंग रोड का निर्माण होगा।
2021 तक के मास्टर प्लान में इस आउटर रिंग रोड का प्रावधान किया गया था, मगर बीते 12 सालों में यह रोड बन ही नहीं सकी। अभी पिछले दिनों केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस रोड के निर्माण की सहमति दी, जिसके चलते नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने ड्रोन सर्वे भी करवाया, जो लगभग पूरा हो गया है। अब प्राधिकरण यह ड्रोन सर्वे भी हासिल करेगा, ताकि उसे योजना लागू करने में आसानी रहे। प्राधिकरण के अनुरोध पर ही 100 की बजाय 500 मीटर तक का ड्रोन सर्वे करवाया गया है। धार रोड की तरफ पहली बार प्राधिकरण लगभग डेढ़ हजार एकड़ पर यह नई योजना टीपीएस के तहत घोषित करेगा। इसमें से 42 किलोमीटर का हिस्सा प्राधिकरण द्वारा बनाया जाएगा और 13 किलोमीटर की सडक़ एमपीएसआईडीसी द्वारा निर्मित की जाना है। प्राधिकरण दफ्तर पहुंचे किसानों को अध्यक्ष जयपालसिंह चांवड़ा और सीईओ आरपी अहिरवार ने योजना के फायदे बताए।
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