इंदौर। मेट्रो प्रोजेक्ट का काम अभी बारिश के कारण प्रभावित हुआ, मगर अब फिर रफ्तार पकड़ेगा। पिछले दिनों इंदौर-भोपाल मेट्रो के लिए 156 कोच खरीदी के टेंडर भी खोले गए। मेट्रो में जो कोच इस्तेमाल होते हैं उसे मेट्रो कार रोलिंग स्टॉक कहा जाता है। फ्रांस की कम्पनी के टेंडर अधिक राशि के आए थे, लिहाजा भारतीय कम्पनी अलस्टाम ट्रांसपोर्ट को 3248 करोड़ में ठेका दिया गया है। वहीं पटरियां बिछाने का जिम्मा जिंदल स्टील को मिला है। अभी शुरुआत में एक किलोमीटर के हिस्से में यह काम संभवत: अगले महीने से शुरू हो जाएगा। चंद्रगुप्त मौर्य चौराहा पर एमआर-10 के हिस्से में पिलर, सेगमेंट लॉचिंग सहित अन्य कार्य लगभग पूर्ण होने को आए हैं। लिहाजा इसी हिस्से में पटरी बिछाने की शुरुआत की जाएगी। अभी रोबोट चौराहा तक पहले चरण का काम चल रहा है, जिसमें स्टेशन निर्माण का काम भी जुड़ा हुआ है। इलेक्टीफिकेशन का ठेका भी कल्पतरु को दे दिया है।
मेट्रो प्रोजेक्ट में अधिकांश बड़े ठेकों की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। वहीं 75 एकड़ में बनने वाले डिपो का काम भी चल रहा है। 33.53 किलोमीटर का जो पहला चरण इंदौर मेट्रो का है उसके साथ गांधी नगर डिपो के इलेक्टीफिकेशन का ठेका भी 568.31 करोड़ में कल्पतरु पॉवर ट्रांसमिशन लिमिटेड को दिया गया है। इस ठेके को लेने के लिए आधा दर्जन कम्पनियां मैदान में थी। पहले चरण की पूरी यलो लाइन का इलेक्टीफिकेशन कार्य होगा, जिसमें एलिवेटेड, अंडरग्राउंड स्टेशनों के साथ गांधी नगर के पास सुपर कॉरिडोर पर जो 75 एकड़ में मेट्रो डिपो निर्मित किया जा रहा है उसका भी इलेक्टीफिकेशन कार्य इस टेंडर में शामिल रहेगा।
इस ठेके के लिए अन्य 6 कम्पनियां सीमंस लिमिटेड, स्टर्लिंग एंड विल्सन, लॉर्सन एंड ट्रूबो, लिंगसन इंडिया के अलावा केईसी इंटरनेशनल और रोलिंग स्टॉक का ठेका लेने वाली अलस्टॉम ट्रांसपोर्ट लि. भी दौड़ में थी। मगर कल्पतरु की टेंडर राशि इन कम्पनियों से कम रहने पर मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने उसे ठेका दिया है। वहीं दूसरी तरफ पहले चरण में 25 मेट्रो ट्रेन चलाई जाना है और हर एक ट्रेन में तीन-तीन कोच रहेंगे, जिसके चलते 75 कोच भी खरीदे जा रहे हैं। मेट्रो कार रोलिंग स्टॉक की टेंडर प्रक्रिया भी पिछले दिनों पूरी हो गई। इंदौर-भोपाल के लिए 156 कोच खरीदे जा रहे हैं, जिसमें 81 कोच भोपाल के लिए और 75 कोच इंदौर मेट्रो के लिए रहेंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके टेंडर बुलाए गए। देश में अभी जिन बड़े शहरों में मेट्रो प्रोजेक्ट अमल में लाया जा रहा है वहां पर फ्रांस और जर्मनी की कम्पनियों ने ही मेट्रो कोच सहित अन्य सामग्री उपलब्ध कराई है।
मगर अब कई देशी कम्पनियों ने भी विदेशी कम्पनियों के साथ संयुक्त उपक्रम में कोच सहित अन्य सामग्रियों का निर्माण शुरू कर दिया है। हालांकि तकनीक और रॉ मटेरियल विदेशी कम्पनियों से ही लेना पड़ रहा है। कोच खरीदी के लिए भारतीय कम्पनी अलस्टॉम ट्रांसपोर्ट का ही टेंडर 51 फीसदी अधिक रहने के बावजूद मंजूर करना पड़ा, क्योंकि निर्माण लागत और सामग्री की कीमतें बढ़ गई हैं। मुकाबले में फ्रांस की कम्पनी बीईएमएल भी थी। मगर उसका टेंडर 100 फीसदी से अधिक राशि का था, लेकिन 3248 करोड़ का ही ठेका मंजूर किया गया। जबकि फ्रांस की कम्पनी ने 4625 करोड़ रुपए से अधिक की राशि के टेंडर भरे थे।
इसके साथ ही सिग्नलिंग और ट्रेन कंट्रोल तथा टेली कम्यूनिकेशन सिस्टम भी कम्पनी को ही देना पड़ेगा और सात साल तक इसका रख-रखाव भी जिसका टेंडर मंजूर हुआ है वही कम्पनी करेगी। दूसरी तरफ पटरियों को बिछाने की शुरुआत भी संभवत: अगले महीने से हो जाएगी। अभी लगातार हो रही बारिश के चलते मेट्रो प्रोजेक्ट के काम में भी खलल पड़ा है, क्योंकि जो पाइलिंग की जा रही है उसमें भी पानी भर गया और सुरक्षा के मद्देनजर भी ठेका लेने वाली फर्मों ने काम को कुछ समय के लिए बंद भी किया, लेकिन अब बारिश बंद होते ही काम की गति भी बढ़ेगी। अभी गांधी नगर से लेकर सुपर कॉरिडोर, एमआर-10 और वहां से विजय नगर, रेडिसन चौराहा और रोबोट चौराहा तक काम चल रहा है। 180 से अधिक पिलरों का निर्माण भी पूरा हो चुका है और सेगमेंट लॉचिंग का काम भी तेज गति से चल रहा है। आरवीएनएल को इसका काम सौंपा गया है, जो लगातार तेज गति से अपनी निर्धारित समय सीमा में काम पूरा कर भी देगी।
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