कीव: यूक्रेन की जंग में अब लगता है कि पासा पलट गया है. पहले हमलावर रही रूसी सेना साफ रूप से दहशत में है, क्योंकि यूक्रेनी सैनिकों ने अब पूर्व की ओर तेजी से बढ़ना शुरु कर दिया है. जिससे रूस पीछे हटने के लिए मजबूर हो गया है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने भी साफ कहा कि रूस के कब्जे वाले इलाकों को मुक्त करने में तेजी लाई जाएगी. जेलेंस्की को अमेरिका और उसके सहयोगी देशों से हथियारों और दूसरी जरूरी सहायता तेजी से मिल रही है.
अमेरिका ये सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ कर रहा है कि यूक्रेन की सभी जरूरतें रक्षा, वित्तीय, आर्थिक, राजनयिक सभी स्तरों पर पूरी हों. यूक्रेन की सेना रूसी कब्जे वाले लुहान्स्क प्रांत को वापस लेने की तैयारी कर रही है और उसने बिलोहोरिवका गांव पर कब्जा हासिल कर लिया है. गांव लिसिचांस्क (Lysychansk) शहर के पश्चिम में केवल छह मील की दूरी पर है, जो जुलाई में हफ्तों की लड़ाई के बाद रूसियों के कब्जे में चला गया था. यूक्रेन अब ‘पूर्वोत्तर में जवाबी हमले के लिए उन रूसी टी-72 टैंकों को तैनात कर रहा है जिस पर उसने कब्जा कर लिया है. इससे क्रेमलिन में कुछ तो डर पैदा हो ही रहा है.
पुतिन के लिए अपमानजनक स्थिति
अगर यूक्रेनी सेना रूस के कब्जे वाले सभी इलाके पर कब्जा कर ले तो यह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अजीब स्थिति में डाल देगा. यह उनके लिए अपमानजनक स्थिति हो सकती है. व्लादिमीर पुतिन को लंबे समय से हर तरह की जंग के सूरमा के रूप मे पेश किया जाता रहा है, जिसमें सूचना युद्ध भी शामिल है. पिछले एक दशक में रूस की सोशल मीडिया उनका गुणगान करती आ रही है. 2014 में क्रीमिया पर कब्जा करने और 2016 में डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव में हेरफेर को उनकी ऐतिहासिक उपलब्धियों के तौर पर पेश किया जाता रहा है. लेकिन इस बार लगता है कि उनका दांव उल्टा पड़ गया है. 24 फरवरी को पुतिन के हमले की शुरुआत के बाद से दुनिया ने यूक्रेन का जमकर समर्थन किया है.
अजेय रूसी वॉर मशीन को गोला बारूद की किल्लत
पुतिन के हमले ने साफ कर दिया कि रूसी सेना की अजेय कही जाने वाली वॉर मशीन यूक्रेन का मुकाबला करने में असमर्थ रही है. अब तो चीन जैसे साझेदार भी क्रेमलिन के साथ खुलकर खड़े होने के लिए अनिच्छुक दिखाई देते हैं. रूस की सेना को गोला बारूद की इतनी कमी है कि बताया जा रहा कि उसे ईरान और उत्तर कोरिया से ड्रोन सहित दूसरे हथियार मांगना पड़ रहा है.
पुतिन का ये कदम उनके पतन का कारण बनेगा!
ये अटकलें भी तेज हो गई हैं कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का ये गलत कदम उनके पतन का कारण साबित हो सकता है. कई विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि जंग के भारी खर्च, हार की निराशा और आर्थिक प्रतिबंधों के चलते उनके शासन का अंत हो सकता है. बहरहाल पुतिन ने देश में अपने विरोधियों से निपटने के लिए अच्छी तैयारी कर रखी है. पिछले दो दशकों में पुतिन और उनके सहयोगियों ने अपने शासन के लिए खतरों को खत्म करने के लिए रूसी शासन की लगभग हर मूल संरचना को बदल दिया है. पुतिन ने प्रमुख असंतुष्टों नेताओं को गिरफ्तार कर लिया है या मार डाला है. आम जनता में भय पैदा किया है और देश के नेतृत्व वर्ग को उनकी अमीरी हमेशा कायम रखने के लिए अपनी मर्जी पर निर्भर बना दिया है.
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