नई दिल्ली। पंजाब (Punjab) के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Former Chief Minister Captain Amarinder Singh) भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) में शामिल हो गए हैं। साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी ‘पंजाब लोक कांग्रेस’ (‘Punjab Lok Congress’) का भी भाजपा में विलय कर दिया है। खास बात है कि कैप्टन के करियर में दूसरा मौका आया है, जब उन्होंने अपनी पार्टी का विलय किसी अन्य पार्टी में किया है। आइए जानते हैं, अब इसके क्या मायने हैं और इससे कैप्टन और भाजपा को क्या फायदा है?
इससे पहले साल 1992 में कैप्टन ने अकाली दल से अलग होकर शिरोमणि अकाली दल (पंथिक) का गठन किया था। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। अब इन तीन दशकों में कैप्टन ने दूसरी बार राष्ट्रीय दल की तरफ नजरें घुमाईं और भाजपा के साथ हो लिए। पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में पीएलसी को करारी हार मिली थी। खुद कैप्टन भी अपनी पटियाला सीट नहीं बचा सके थे।
भाजपा में क्यों गए कैप्टन?
कहा जा रहा है कि इसके जरिए वह अपनी राजनीतिक मौजूदगी बनाए रखना चाहते हैं। इसके अलावा वह यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके बच्चों और पोते के पैर पंजाब की राजनीति में जम जाएं। कैप्टन ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है, जब कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है और आम आदमी पार्टी अगले कुछ वर्षों के लिए मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। आप ने पंजाब में 92 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी।
इससे भाजपा को क्या फायदा
इधर, भाजपा को इसके जरिए लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद में है, जिसके जरिए कृषि कानूनों को लेकर बढ़ी नाराजगी को खत्म किया जा सके और राज्य में मजबूत सियासी जमीन तलाशी जा सके। इसके अलावा भाजपा के लिए आप की हार भी जरूरी है। इससे भाजपा अपने एक आक्रामक विरोधी को शांत कर सकती है और उसका विजय रथ रोक सकती है।
एक वजह यह भी
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस बात की संभावनाएं हैं कि कैप्टन को जल्दी राज्यसभा भेजा जा सकता है। साथ ही भाजपा उन्हें एक ऐसे चेहरे के तौर पर पेश करना चाहती है, जो दिखाता है कि कांग्रेस में परेशानी क्या है। इसके अलावा कैप्टन की ‘फौजी’ और राष्ट्रवादी बातें भी गांधी परिवार और आप के खिलाफ भाजपा की आवाज बन सकती है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved