भोपाल। मध्यप्रदेश में भारतीय पुलिस सेवा के कई अधिकारियों का आने वाले कुछ महीनों में रिटायरमेंट हो रहा है। इन अफसरों के रिटायरमेंट के कारण आईपीएस के सबसे निचले क्रम के पद एसपी स्तर पर 2023 में भी अफसरों की कमी हो सकती है। इस कारण सरकार को मैदानी पदस्थापना में भेजना पड़ेगा। गौरतलब है कि प्रदेश में आईपीएस अफसरों की कमी लगातार बनी हुई है। ऐसे में अगर वरिष्ठ आईपीएस अफसर रिटायर होते हैं कि इसका असर मैदानी पदस्थापना में दिखने लगता है। जानकारी के अनुसार प्रदेश के 4 सीनियर आईपीएस अफसर तीन महीने के अंदर रिटायर होने जा रहे हैं। इसी साल डेपुटेशन में सीआरपीएफ में स्पेशल डीजी रहे यूसी सारंगी भी रिटायर हो चुके हैं। केंद्र से ही डीजी बीएसएफ एसएल थाउसेन भी रिटायर होंगे। थाउसेन का कार्यकाल नवंबर अगले साल तक का है। ऐसे में मध्य प्रदेश थाउसेन का आना संभव नहीं है। अक्टूबर में सीआईएसएफ में पदस्थ एडीजी प्रमोद श्रीपद फाल्निकर और स्पेशल डीजी राजेंद्र कुमार मिश्रा सेवानिवृत्त हो जाएंगे। अफसरों के रिटायरमेंट के साथ प्रमोशन भी नए साल में होंगे। एडीजी रैंक के अफसरों की पदोन्नति होगी। इसके लिए पीएचक्यू के गृह विभाग को प्रस्ताव भेज दिया है।
पीएचक्यू में क्षमता से अधिक एडीजी
पुलिस मुख्यालय में क्षमता से अधिक एडीजी रैंक के अधिकारी पदस्थ है। कई अफसरों के पहले अहम विभाग नहीं है। ऐसे में अफसरों ने नए डीजीपी के लिए चर्चा शुरू कर दी है। सीनियरटी के अनुसार शैलेंद्र सिंह, अरविंद कुमार, सुधीर कुमार साही, अनवेष मंगलम, विजय कटारिया और कैलाश मकवाना के नाम तय है लेकिन डीजीपी के लिए 2 साल का रिटायरमेंट से पहले समय चाहिए। इसलिए क्राइटेरिया में इन अफसरों का डीजीपी की रेस के बाहर होना तय है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में आईपीएस कैडर के 222 पद मंजूर हैं और ये पद सीधी भर्ती से भरे जाने वाले हैं। इसी तरह 97 वो पद शामिल हैं, जो आईपीएस रिक्रूटमेंट रेगुलेशन के तहत प्रमोशन से भरे जाने वाले हैं। सीनियर ड्यूटी पोस्ट 173 हैं। सेंट्रल डेपुटेशन में 69, स्टेट डेपुटेशन में 43 पद हैं।
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