उज्जैन। नगर निगम के पास न तो कोई रिकार्ड है और न ही कोई तकनीकी विशेषज्ञ और इसी के चलते हर बार जो निर्माण होते हैं या तो उन्हें बाद में तोडऩा पड़ते हैं या फिर विवाद होते रहते हैं…ऐसा ही मामला गोवर्धन सागर को सरकारी घोषित करने के बाद सामने आया है जहाँ निगम अधिकारियों ने आँख बंद कर लोगों को नोटिस बाँट दिए। यहाँ तक कि मुख्य अंकपात मार्ग के सामने जो चेरिटेबल अस्पताल है उसके आसपास के मकानों को भी अतिक्रमण के नोटिस दिए गए हैं..नागरिक पूछ रहे हैं कि जब अतिक्रमण है तो फिर सरकारी रोड कैसे बन गई।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि गोवर्धन सागर के आसपास वर्षों से मकान बने हुए हैं और अब यह सागर कहा जा रहा है लेकिन पहले तो लावारिस कचरा घर ही था और धीरे-धीरे यहाँ अतिक्रमण होते गए। उज्जैन के सप्त सागरों में शामिल यह जगह 10 बीघा से अधिक की बताई जाती है और नगर निगम ने 60 से अधिक पुराने मकानों को अतिक्रमण के नोटिस थमा दिए हैं जिससे कि लोगों में भय व्याप्त है। इंका नेता शिव लश्करी ने कहा कि मेरा मकान चेरिटेबल अस्पताल के पास है लेकिन मुझे भी अतिक्रमण का नोटिस दिया गया है, जबकि गोवर्धन सागर और हमारे मकान के बीच सड़क बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि 3 माह पहले संतों के आंदोलन के बाद प्रशासन ने गोवर्धन सागर के आसपास के अतिक्रमण हटाकर इसकी सफाई करवाई थी और यहाँ की नपती कराने के बाद नोटिस बांट दिए थे और जितने भी अतिक्रमण थे, उन्हें नोटिस देकर हटने को कहा था। अब प्रशासन ने चैरिटेबल अस्पताल वाली साईड के लोगों को भी अतिक्रमण के नोटिस थमा दिए थे। यह नोटिस मिलने के बाद क्षेत्रीय रहवासियों में आक्रोश व्याप्त हो गया है। लोगों ने कहा कि हम यहाँ वर्षों से निवास कर रहे हैं और अपने पूर्वज भी यहीं रहते थे और गोवर्धन सागर रोड के उस पार है और हमारे घर रोड की दूसरी तरफ, ऐसे में हमारा घर और प्रतिष्ठान अतिक्रमण कैसे हो सकते हैं। नागरिकों में नोटिस बंटने के बाद भय का माहौल है और वे प्रशासन के खिलाफ आंदोलन की योजना बना रहे हैं।
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