नई दिल्ली। मोदी सरकार (against modi government) के खिलाफ विपक्ष (Opposition) को एकजुट करने की चल रही कवायद के बीच हरियाणा (Haryana) की धरती पर विपक्षी एकता का इम्तिहान होगा। कवायद से मिल रहे संकेत के मुताबिक, यह गैर कांग्रेसी विपक्ष का मोर्चा बनेगा। लेकिन, गैर कांग्रेसी दलों (non congress parties) में भी अलग-अलग राय के बीच रैली की असली तस्वीर को लेकर कई तरह की अटकलें हैं।
इनेलो से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और शरद पवार (Sharad Pawar) जैसे नेता चौधरी देवीलाल (Chaudhary Devi Lal) की जयंती पर इनेलो द्वारा आयोजित कार्यक्रम को केंद्र सरकार के खिलाफ बड़ी मोर्चेबंदी के रूप में तैयार करने की सलाह चौटाला को दे चुके हैं। लेकिन, इनेलो को हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को लेकर अपनी हिचकिचाहट है।
गौरतलब है कि इनेलो पार्टी चौधरी देवीलाल की जयंती 25 सितंबर को फतेहाबाद में मनाने जा रही है। इसे इनेलो सम्मान दिवस के रुप में मनाती है। इस जयंती पर इनेलो ने भाजपा विरोधी कई पार्टियों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया है। कार्यक्रम में पवार और नीतीश का आना तय माना जा रहा है, लेकिन ममता ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। केसीआर के रुख पर भी सबकी नजर है। फिलहाल ममता को भी मंच पर लाने की पूरी कोशिश हो रही है, जिससे बड़ा संदेश जाए। आम आदमी पार्टी को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। सूत्रों ने कहा, विपक्ष के कुछ दल इससे अलग-अलग वजहों से दूर रह सकते हैं।
हरियाणा में इनोलो के जनाधार को लगा है झटका
पिछले दिनों इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने गुरुग्राम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मुलाकात की थी। हालांकि, चौटाला परिवार में टूट के बाद हरियाणा में इनेलो अपना मजबूत जनाधार खो रही है और पार्टी 90 विधानसभा सीटों में से केवल एक ही सीट पर सिमट कर रह गई है। विपक्षी एकता की धुरी बनकर चौटाला अपना जनाधार वापस लाने की मुहिम के साथ लोकसभा चुनाव के लिहाज से बड़ी मोर्चेबंदी की नीतीश, पवार जैसे नेताओं की कवायद पर भी साथ खड़े होता दिखना चाहते हैं।
इन नेताओं ने भरी है हामी
सम्मान दिवस रैली के लिए अब तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक, उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, शरद यादव, केसी त्यागी व सुखबीर सिंह बादल सहित अन्य नेताओं को न्योता देने की बात की जा रही है। हिसार के पास होने वाली इस रैली की तैयारी इंडियन नेशनल लोक दल ने की है।
बीते कई साल में यह पहला मौका होगा, जिसमें देश भर के गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेसी नेता एक ही मंच पर होंगे। टीआरएस नेता केसीआर के अलावा मेघालय के राज्यपाल और मोदी सरकार की लगातार आलोचना कर रहे सत्यपाल मलिक को भी आमंत्रित किए जाने की बात की जा रही है। 87 साल के चौधरी ओमप्रकाश चौटाला अपनी मुहिम में कितना सफल होंगे, वक्त बताएगा, लेकिन यह मंच समग्र विपक्षी एकता का संदेश देने के बजाय तीसरा मोर्चा जैसी कवायद साबित हो सकता है।
देवीलाल ने किया था विपक्ष को एकजुट
बता दें कि वर्ष 1977 और उसके बाद 1989 में चौधरी देवीलाल ने समूचे विपक्ष को एकजुट किया था। देवीलाल ने भी हरियाणा की धरती से ही एक बड़ी रैली करते हुए पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोला था। बदली परिस्थितियों में भाजपा विपक्ष की साझा सियासी दुश्मन बन गई है। देवीलाल ने 23 मार्च 1986 को जींद में एक ऐतिहासिक रैली का आयोजन किया था। इसके बाद चौधरी देवीलाल एक जननेता के रूप में उभरकर सामने आए थे। उसके बाद 1987 के विधानसभा चुनाव में देवीलाल के नेतृत्व में प्रचंड बहुमत की सरकार बनी थी।
गौरतलब है कि जून 2021 को चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को जेबीटी भर्ती मामले में नियमित रूप से जेल से रिहाई मिल गई। जेल से रिहा होने के बाद चौटाला लगातार सक्रिय हैं। वैसे भी पिछले कुछ समय से तीसरे मोर्चे को लेकर कई अन्य नेताओं की ओर से भी पहल की जा रही है।
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