इंदौर, नासेरा मंसूरी। शहर में चारों ओर नवरात्र उत्सव की जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। इसमें सबसे प्रमुख मां दुर्गा की प्रतिमाओं को लेकर खासा उत्साह है। इसे देखते हुए बंगाली मूर्तिकार मां के विभिन्न रूपों को आकार देने में दिन-रात जुटे हैं। कारखानों में मां की प्रतिमाएं गंगा की मिट्टी से आकार ले रही हैं, तो कोलकाता की शृंगार सामग्री से मां के अलग-अलग स्वरूपों को सजाया जाएगा। इसके लिए खासतौर पर लाखों खर्च कर ट्रांसपोर्ट से गंगा किनारे की मिट्टी शहर में मंगवाई जाती है।
इस साल शहर के पंडालों में स्थापना के लिए बंगाली चौराहे के मूर्तिकारों के पास मां काली की प्रतिमाओं की मांग सबसे ज्यादा है। मां की सबसे बड़ी प्रतिमा कृष्णपुरा छत्री क्षेत्र के पंडाल में स्थापित की जाएगी, जो 25 फीट की होगी। बंगाली चौराहा स्थित पाल मूर्तिकार आर्ट्स में इंदौर के साथ ही उज्जैन, कुक्षी, मनावर, मंदसौर, मक्सी और कुछ अन्य शहरों के लिए मां की प्रतिमाएं बंगाली मूर्तिकार तैयार कर रहे हैं। यहां मां के अलग-अलग स्वरूपों को गंगा की मिट्टी से तैयार किया जा रहा है। प्रतिमाएं तैयार होने के बाद कोलकाता से लाए शृंगार के सामान से मां की प्रतिमाओं का शृंगार किया जाएगा। इस साल कम से कम 5 फीट और सबसे अधिक 25 फीट की प्रतिमा इन कारखानों में तैयार की जा रही है। बंगाली चौराहा पर ही अन्य कारखानों में भी बंगाली मूर्तिकार मां की प्रतिमाओं को आकार दे रहे हैं।
गंगा किनारे की मिट्टी से चेहरे और हाथों की ऊंगलियों को दिया जाता है आकार
प्रतिमाओं के निर्माण के लिए कोलकाता से ही शृंगार का सामान आता है और कोलकाता से ही गंगा किनारे की मिट्टी लाई जाती है। मां की प्रतिमाओं के लिए इस साल दो ट्रक मिट्टी कोलकाता से मंगवाई गई है। कोलकाता से यहां तक दो ट्रक मिट्टी लाने का खर्च 4 लाख 50 हजार आया है। ये केवल एक कारखाने के लिए ही लाई गई है। ऐसे अन्य कारखाना संचालकों ने भी मिट्टी मंगवाई है। कारीगरों के मुताबिक, गंगा किनारे की मिट्टी चिकनी होती है, जो चेहरे और उंगलियों को आकार देने के लिए सही होती है। हर प्रतिमा का फिनिशिंग का काम इस मिट्टी से ही किया जाता है। प्रतिमाओं के लिए अन्य जगह से भी मिट्टी मंगवाई जाती है।
समय कम और मौसम भी साथ नहीं
मूर्तिकारों के पास गणेश जी की प्रतिमाओं के बाद मां की प्रतिमा ऊपर काम करने के लिए केवल 1 महीने का ही समय होता है, इसीलिए फिलहाल एक कारखाने में साढ़े चार सौ के आसपास प्रतिमाएं बनाई जा रही है। दूसरी तरफ इस साल मौसम भी इनका साथ नहीं दे रहा है। बारिश की वजह से प्रतिमाओं को सूखने में वक्त लग रहा है, जिससे प्रतिमाएं सीमित संख्या में ही बनाई जा रही हैं।
मूसाखेड़ी में तीन प्रतिमाएं उज्जैन में बैलगाड़ी पर सवार नजर आएंगी मां
इस साल शहर में पंचम की फेल में मां काली की 21 फीट की प्रतिमा और बर्फानी धाम के सामने 15 फीट की मां काली की प्रतिमा की स्थापना की जाएगी। मूसाखेड़ी में भी 21-21 फीट की मां शेरावाली, मां काली और भोलेनाथ की प्रतिमा की स्थापना की जाना है, जिसे बंगाली मूर्तिकार तैयार कर रहे हैं। उज्जैन महाकाल परिसर के लिए भी प्रतिमा इंदौर में तैयार की जा रही है। उज्जैन के लिए मां के साथ उनके पूरे परिवार की प्रतिमा तैयार की जा रही हैं, जो बैलगाड़ी पर सवार होंगी। यहां स्थापित होने वाली प्रतिमा का आकार बैलगाड़ी सहित 24 फीट चौड़ा और 15 फीट ऊंचा होगा।
प्रतिमाओं का श्रृंगार एक हफ्ते में
बंगाली चौराहा स्थित पाल मूर्तिकार आर्ट्स के अतुल पाल ने बताया कि इस साल मां के काली स्वरूप की सबसे ज्यादा मांग है। हम पिछले साल की तुलना में अधिक संख्या में मां के इस स्वरूप की प्रतिमाएं बना रहे हैं। इस साल हमारे पास मां काली के स्वरूप की 50 प्रतिमाओं को तैयार करने के ऑर्डर मिले हैं। सभी स्वरूप की बात करें, तो साढ़े चार सौ से ज्यादा प्रतिमाएं बनाई जा रही है। मां की प्रतिमाओं को सजाने का काम भी एक हफ्ते में शुरू हो जाएगा। प्रतिमा में लगने वाले हर सामान के दाम दोगुने होने से इस साल मां की प्रतिमाओं के दाम में भी 20 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
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