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चुनाव आयोग की लाचारी, SC से कहा- दलों की मान्यता रद्द करने का अधिकार उसके पास नहीं

September 15, 2022

नई दिल्ली। चुनाव आयोग (election Commission) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा कि नफरत फैलाने वाले बयानों (hate speeches) के मामले में दलों की मान्यता (recognition of parties) रद्द करने का उसके पास अधिकार नहीं है। आयोग ने शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में कहा कि चुनाव के दौरान नफरती भाषण और अफवाह फैलाने पर विशेष कानून के अभाव में उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) व जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों को लागू करना होता है।

भाजपा नेता व वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय (Ashwini Kumar Upadhyay) की जनहित याचिका पर लिखित जवाब में आयोग ने कहा, वह प्रत्याशी या उसके एजेंट के उन भाषणों पर नजर रखता है, जो धर्म, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर समुदायों के बीच शत्रुता या घृणा को बढ़ावा देने का प्रयास करने वाले होते हैं।


चुनाव की घोषणा के बाद और प्रक्रिया पूरी होने तक सियासी दलों व उम्मीदवारों के मार्गदर्शन के लिए ‘आदर्श आचार संहिता’ और ‘क्या करें और क्या न करें’ पहले ही जारी है। इनमें स्पष्ट है कि मतदाताओं से जाति या सांप्रदायिक आधार पर कोई अपील नहीं होनी चाहिए। विभिन्न जातियों, समुदायों, धार्मिक, भाषाई समूहों के बीच तनाव भी पैदा न हो।

मांगा जाता है स्पष्टीकरण
आयोग ने बताया, चुनाव आयोग ऐसे मामलों में संबंधित उम्मीदवार या उस व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस जारी करता है, जो उससे स्पष्टीकरण मांगता है। उसके जवाब के आधार पर वह परामर्श जारी करता है।

विधि आयोग की सिफारिश नहीं
चुनाव आयोग ने बताया, 2014 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार विधि आयोग ने इस मुद्दे की जांच की, क्या चुनाव आयोग को सियासी दल या उसके सदस्यों को अयोग्य घोषित करने की शक्ति दी जानी चाहिए।

विधि आयोग ने न स्पष्ट सुझाव दिया, न ही संसद को ऐसी सिफारिश की, जिससे आयोग को हेट स्पीच के खतरे रोकने के लिए शक्ति दी जा सके।

जनहित याचिका में शीर्ष अदालत से चुनावों के दौरान भड़काऊ भाषण व अफवाहों से निपटने के लिए प्रभावी व सख्त कदम उठाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई है।

संपत्ति की झूठी घोषणा प्रत्याशी का भ्रष्ट आचरण : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी उम्मीदवार, उसके पति या पत्नी या आश्रितों की संपत्ति के संबंध में झूठी घोषणा भ्रष्ट आचरण है। शीर्ष कोर्ट ने कहा-केंद्र, राज्य, नगर निगम या पंचायत-सभी स्तरों पर चुनाव की शुद्धता राष्ट्रीय महत्व का मामला है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने बुधवार को कहा, झूठी घोषणा चुनाव को भी प्रभावित करती है। इसमें सभी राज्यों के हित में एकसमान नीति वांछनीय है। पीठ ने यह टिप्पणी कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए की।

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