– रमेश सर्राफ धमोरा
दुनिया में भारत सबसे ज्यादा विविध संस्कृतियों वाला देश है। धर्म, परंपराओं और भाषा में इसकी विविधता के बावजूद यहां के लोग एकता में विश्वास रखते हैं। भारत में विभिन्न बोलियां बोली जाती हैं। लेकिन सबसे ज्यादा हिंदीबोली, लिखी व पढ़ी जाती है। इसीलिए हिंदी भारत की सबसे प्रमुख भाषा है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया था कि हिंदी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी। इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद 1953 से देश में 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। हिंदी के ज्यादातर शब्द संस्कृत, अरबी और फारसी भाषा से लिए गए हैं। यह मुख्य रूप से आर्यों और पारसियों की देन है। इस कारण हिंदी अपने आप में एक समर्थ भाषा है। अंग्रेजी में मात्र 10 हजार मूल शब्द हैं। इसके मुकाबले हिंदी के मूल शब्दों की संख्या 2 लाख 50 हजार से भी अधिक है। हिंदी विश्व की एक प्राचीन,समृद्ध तथा महान भाषा होने के साथ हमारी राजभाषा भी है। यह देश की धड़कन है।
हिंदी ने भाषा, व्याकरण, साहित्य, कला, संगीत के सभी माध्यमों में अपनी उपयोगिता, प्रासंगिकता एवं वर्चस्व कायम किया है। हिंदी की यह स्थिति हिंदी भाषियों और हिंदी समाज की देन है। लेकिन हिंदी भाषा समाज का एक तबका हिंदी की दुर्गति के लिए भी जिम्मेदार है। अंग्रेजी बोलने वाला ज्यादा ज्ञानी और बुद्धिजीवी होता है। यह धारणा हिंदी भाषियों में हीन भावना लाती है। जिंदगी में सफलता पाने के लिये हर कोई अंग्रेजी भाषा को बोलना और सीखना चाहता है। हिंदी भाषी लोगों को इस हीन भावना से उबरना होगा, क्योंकि मौलिक विचार मातृभाषा में ही आते हैं। शिक्षा का माध्यम भी मातृभाषा होनी चाहिए। शिक्षा विचार करना सिखाती है और मौलिक विचार उसी भाषा में हो सकता है जिस भाषा में आदमी जीता है।
हिंदी दिवस इस बात का अहसास दिलाता है कि हिंदी का प्रयोग भारतीय जनता का अधिकार है। जिसे उनसे छीना नहीं जा सकता है। महात्मा गांधी, स्वामी दयानन्द सरस्वती, पण्डित मदनमोहन मालवीय, राजर्षि पुरुषोत्तम दास टण्डन, आचार्य केशव सेन, काका कालेलकर, गोविन्दवल्लभ पन्त जैसे अनेको महान व्यक्तियों के अथक प्रयासों से हमें हिंदी को राष्ट्रभाषा कहने का अधिकार मिला है तो उसे हम छोड़े क्यों?
हिंदी हमारी मातृ भाषा है और हमें इसका आदर और सम्मान करना चाहिये। हिंदी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, और दिल्ली राज्यों की राजभाषा भी है। राजभाषा बनने के बाद हिंदी ने विभिन्न राज्यों के कामकाज में लोगों से सम्पर्क स्थापित करने का अभिनव कार्य किया है। लेकिन विश्व भाषा बनने के लिए हिंदी को अब भी संयुक्त राष्ट्र के कुल सदस्यों के दो तिहाई देशों के समर्थन की आवश्यकता है। भारत सरकार इस दिशा में तेजी से कार्य कर रही है। हम संभावनाएं जता सकते हैं कि शीघ्र ही हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा में शामिल कर लिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी विदेश यात्रा के दौरान अधिकतर अपना सम्बोधन हिंदी भाषा में ही देते हैं। इससे हिंदी भाषा का महत्व विदेशी धरती पर भी बढ़ने लगा है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से हिंदी और देवनागरी के मानकीकरण की दिशा में अनेक क्षेत्रों में प्रयास हुए हैं। हिंदी भारत की सम्पर्क भाषा भी हैं। अतः हम कह सकते है की हिंदी एक समृद्ध भाषा है। भारत की राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में हिंदी भाषा का बहुत बड़ा योगदान हैं।
हिंदी भाषा एक-दूसरे के साथ बातचीत करने के लिए बहुत आसान और सरल माध्यम प्रदान करती है। यह प्रेम, मिलन और सौहार्द की भाषा है। हिंदी विविध भारत को एकता के सूत्र में पिरोने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह कैसी विडम्बना है कि जिस भाषा को कश्मीर से कन्याकुमारी तक सारे भारत में समझा जाता हो। उस भाषा के प्रति आज भी इतनी उपेक्षा व अवज्ञा क्यों ? प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति हिंदी भाषा को आसानी से बोल-समझ लेता है। इसलिए इसे सामान्य जनता की भाषा अर्थात जनभाषा कहा गया है।
देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के एक साथ विकास के कारण हिंदी ने कहीं न कहीं अपनी महत्ता खो दी है। आज हिंदी भाषा में अंग्रेजी शब्दों का प्रचलन तेजी से बढ़ने लगा है। बहुत से बड़े समाचार पत्रों में भी अंग्रेजी मिश्रित हिंदी का उपयोग किया जाने लगा है। यह हिंदी भाषा के लिये शुभ संकेत नहीं हैं। रही सही कसर सोशल मीडिया ने पूरी कर दी है। सॉफ्टवेयर की मदद से रूपांतरण कर अंग्रेजी से हिंदी भाषा बनायी जाती है। जिसमें न मात्रा का ख्याल रहता है और न ही शुद्ध वर्तनी का।
हिंदी दिवस के अवसर पर हमें यह संकल्प लेना होगा की हम पूरे मनोयोग से हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में अपना निस्वार्थ सहयोग प्रदान कर हिंदी भाषा के बल पर भारत को फिर से विश्व गुरु बनवाने का सकारात्मक प्रयास करेंगें। अब तो कम्प्यूटर पर भी हिंदी भाषा में सब काम होने लगे हैं। कम्प्यूटर पर हिंदी भाषा के अनेको सॉफ्टवेयर मौजूद हैं जिनकी सहायता से हम आसानी से कार्य कर सकते हैं।
(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)
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