पटना । बिहार में (In Bihar) नगर निकाय चुनाव (Municipal Elections) की घोषणा के बाद (After the Announcement) राजनीतिक सरगर्मी (Political Agitation) बढ़ गई है (Has Increased) । निर्वाचन आयोग ने 224 नगरपालिकाओं में दो चरण में मतदान कराने की अधिसूचना जारी की है। पिछली बार सर्वाधिक नगर निकायों पर भाजपा समर्थित महापौर और उप महापौर ने जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार का परिदृश्य बदला नजर आ रहा है।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा नगर निकायों के चुनाव को लेकर जारी अधिसूचना के अनुसार दो चरणों मे 224 नगर निकायों में चुनाव होगा। पहले चरण के लिए 10 अक्टूबर को मतदान होगा, जबकि दूसरे चरण में 20 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। पहले चरण वाले क्षेत्रों में मतगणना 12 अक्टूबर को होगी तथा दूसरे चरण की मतगणना 22 अक्टूबर को होगी।
यह चुनाव बेशक दलीय आधार पर नहीं होगा, लेकिन परोक्ष रूप से राजनीतिक दलों की सक्रियता देखी जा रही है। कहा जा रहा है कि पार्टियां अपने समर्थित उम्मीदवारों को जिताने के लिए पूरा जोर लगाएगी। बिहार में लोकसभा की 40, जबकि विधानसभा की 243 सीटें हैं और लोकसभा चुनाव 2024 में तथा विधान सभा चुनाव 2025 में होना संभावित है। ऐसे में कहा जा रहा है कि इस चुनाव का लाभ आगामी चुनाव में उठाने के लिए राजनीतिक दल लगे हुए हैं।
राज्य में राजद के साथ जदयू के गठबंधन के कारण सत्ता पक्ष की भी स्थिति पहले की तुलना में मजबूत दिख रही है,वहीं भाजपा अकेली पड़ गई है। वैसे शहर में भाजपा के दबदबे को नकारा नहीं जा सकता है। ऐसी स्थिति में स्पष्ट है कि ज्यादातर निकायों में भाजपा बनाम महागठबंधन की जोर-आजमाइश हो सकती है। दोनो गठबंधनों में शामिल दलों के बड़े नेता प्रयास करेंगे कि कम से कम सभी बड़े शहर यानी नगर निगमों पर उनकी पसंद के महापौर, उप महापौर काबिज हों, इसके लिए लॉबिंग भी शुरू हो गयी है ।
पटना नगर निगम का क्षेत्र शहर के तीन विधानसभा क्षेत्रों को कवर करता है। यहां महापौर की सीट सामान्य महिला, जबकि उप महापौर सीट पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित है। निवर्तमान मेयर सीता साहू भाजपा से जुड़ी हैं, उनकी दोबारा दावेदारी होने पर जदयू, राजद व कांग्रेस मिल कर किसी एक उम्मीदवार को समर्थन कर सकते हैं। ऐसे में दलीय आधार पर मतदाताओं की गोलबंदी तय है। दलीय निष्ठा के आधार पर क्षेत्रीय नेताओं की भी बड़ी भूमिका होगी।
भाजपा जहां शहरी इलाकों में अपना दबदबा बरकरार रखना चाहती है, महागठबंधन की सत्ता में वापसी के बाद जनसमर्थन को बढ़ाने की कोशिश में है। एक ही दल के समर्थित उम्मीदवारों की दावेदारी के बाद मान मनौव्वल का भी काम जारी है। वैसे, जैसे जैसे मतदान का समय नजदीक आएगा और सरगर्मी बढ़ेगी।
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