नई दिल्ली। भारत (India) में कोरोना वायरस से अलग अब लंपी वायरस ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. लंपी वायरस (Lumpy Virus) की वजह से भारत में अब तक 67 हजार से अधिक मवेशियों की मौत हो चुकी है. इससे दुग्ध उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है. इसे देखते हुए आज एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है. पशुपालन और डेयरी विभाग के सचिव जतिंद्र नाथ स्वैन ने कहा कि बैठक में इस वायरस से निपटने के लिए मवेशियों (cattle) के टीकाकरण के अलावा अन्य प्लान पर विस्तार से चर्चा होगी.
सचिव जतिंद्र नाथ स्वैन का कहना है कि फिलहाल गोट पॉक्स (Goat Pox) टीके का उपयोग किया जा रहा है. यह 100 प्रतिशत तक प्रभावी है. हालांकि इस टीके की संख्या सीमित होने की वजह से अभी दिक्कत हो रही है. इसे बनाने वाली कंपनी को इसके तेज उत्पादन (Production) के लिए कहा गया है. वहीं कृषि अनुसंधान निकाय आईसीएआर के दो संस्थानों द्वारा विकसित एलएसडी के लिए एक नए टीके ‘लंपी-प्रोवैकइंड’ की व्यावसायिक पेशकश में अभी 3-4 महीने’ का समय लग सकता है.
दूध के उत्पादन पर इस तरह पड़ रहा असर
वहीं मवेशियों की मौत और उनके इस वायरस की चपेट में आने से दूध के उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है. गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने कहा कि गुजरात में दूध उत्पादन 0.5 प्रतिशत तक गिरा है. क्योंकि टीकाकरण से गुजरात में स्थिति कंट्रोल में है. हालांकि उन्होंने दूसरे राज्यों में इसके व्यापक असर की बात मानी. मदर डेयरी के प्रबंध निदेशक, मनीष बंदलिश ने कहा, ‘समग्र योजना में दूध के उत्पादन पर मामूली असर पड़ा है.’’
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