रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) और उनके भाई दुमका विधायक बसंत सोरेन (Dumka MLA Basant Soren) की विधानसभा सदस्यता पर राज्यपाल रमेश बैस (Governor Ramesh Bais) के फैसले को लेकर राजभवन पर अभी भी निगाहें टिकी हुई हैं। इस बीच सत्ताधारी दल की ओर से राज्य में जारी सियासी संशय की स्थिति को दूर करने की मांग लगातार जारी है। राज्यपाल से झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने एक बार फिर जल्द आधिकारिक रूप से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य (Supriyo Bhattacharya) ने राज्यपाल से एक बार फिर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता पर अपना फैसला जल्द सार्वजनिक करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपीए प्रतिनिधिमंडल को राज्यपाल ने अतिशीघ्र अपना फैसला देने का भरोसा दिलाया था, लेकिन इस बात को 10 दिन बीत चुके हैं। सुप्रियो के अनुसार, राज्यपाल के फैसले में देरी के कारण राज्य में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि सरकार की छानबीन समिति की रिपोर्ट में यह साबित हो चुका है कि अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाणपत्र पर कांके विधानसभा से समरी लाल भाजपा के सिंबल पर निर्वाचित हुए हैं। इस मामले में कार्रवाई तेजी से होनी चाहिए।
वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर राज्यपाल को भी स्थिति जल्द स्पष्ट करनी चाहिए। क्योंकि राजनीतिक अस्थिरता के कारण विकास कार्यों में बाधा आती है। जैसा कि यूपीए प्रतिनिधिमंडल को राज्यपाल ने अवगत कराया है कि भारत निर्वाचन आयोग से मंतव्य प्राप्त हुआ है। ऐसे में विलंब उचित नहीं है। ज्ञात हो कि सीएम हेमंत सोरेन के नाम खनन लीज और बसंत सोरेन के खनन कंपनी में साझेदार होने की शिकायत भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से फरवरी में की थी। इसके बाद राज्यपाल के परामर्श मांगने पर भारत निर्वाचन आयोग ने मामले में अपना मंतव्य राज्यपाल को सौंप दिया है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved