बेंगलुरु । भारत की सिलिकॉन वैली (India’s Silicon Valley) कही जाने वाली आईटी सिटी (IT City) बेंगलुरु की सड़कें (Bangaluru’s Roads) झील बन गईं (Become Lakes) । बेंगलुरु जैसे शहर में इस तरह के हालात ने भारतीय शहरी क्षेत्रों की प्लानिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बेंगलुरु में 80 के करीब झीलें हैं और उसे झीलों का शहर कहा जाता है। अब तक लोग झीलों पर घूमने के लिए जाते थे, लेकिन भारी बारिश से ऐसे हालात पैदा हुए हैं कि झीलें अब लोगों के घरों तक आ गई हैं। हालात ये हैं कि लोग अपने घरों से कार के जरिए नहीं, बल्कि मोटरबोट से निकल रहे हैं। बोट्स के जरिए रेस्क्यू टीम बाढ़ के पानी में फंसे लोगों को निकालने में जुटी है। पानी इतना ज्यादा है कि रेस्क्यू टीम कोई रिस्क नहीं लेना चाहती।
बीते कई दिनों से लगातार बारिश ने यह माहौल बना दिया है कि बेंगलुरु की जिन सड़कों पर लग्जरी कारें दौड़ती थीं, वहां ट्रांसपोर्ट का माध्यम अब ट्रैक्टर और नाव बन गए हैं। वीआईपी कॉलोनियों में पानी घुस आया है और कारें डूब गई हैं। पहली मंजिल पर रहने वाले लोग ही सेफ हैं और कई जगहों पर बेसमेंट या फिर ग्राउंड फ्लोर के मकान पूरी तरह पानी में समा गए हैं। यही नहीं मौसम विभाग के अनुमान ने यह चिंता औऱ बढ़ा दी है कि आने वाले तीन दिनों तक और बारिश हो सकती है।
समस्या यह है कि बारिश से भरे पानी में यह नहीं पता लग पा रहा है कि कहां सड़क पर गड्ढा है और कहां मेनहोल है। ऐसे में बारिश के ही पानी में लोगों के डूबने तक का डर पैदा हो गया है। यही वजह है कि बचाव दल में शामिल लोग नावों के जरिए ही अभियान चला रहे हैं। बेंगलुरु के बारे में जानने वाले लोग कहते हैं कि शहर में बीते कुछ सालों में तेजी से विकास हुआ है और इमारतें बनी हैं, लेकिन पानी के निकासी के सिस्टम में कोई सुधार या नया प्रयोग नहीं हुआ है। इस कमी को इस बार की बारिश ने उजागर भी कर दिया है। कहा जा रहा है कि बारिश के चलते सड़कों के झील बन जाने की वजह यह है कि लोगों ने झीलों पर अतिक्रमण कर लिया है। इसके अलावा शहर में कहीं भी जमीन नहीं बची है। हर जगह कंक्रीट बिछी हुई है।
इसके चलते आसमान से बरसा पानी न तो झीलों तक पहुंच रहा है और न ही ऐसी जमीन है, जहां पर पड़ा पानी धरती सोख ले। ऐसे में धूप के चलते ही पानी सूखने की एक संभावना है और लगातार बारिश ने उस स्थिति को भी खत्म कर दिया है। 2017 के आंकड़ों के मुताबिक बेंगलुरु शहर में 78 फीसदी हिस्सा कंक्रीट से ढका हुआ था। लेकिन नया आंकड़ा बताता है कि शहर के 90 फीसदी इलाके में नई इमारतें बनी हैं, लेकिन पानी की निकासी के सिस्टम को सुधारने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई। शहर में नई इमारतें खूब बनाई गई हैं, लेकिन पानी की निकासी का सिस्टम बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया।
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