भोपाल। प्रदेश के यात्री वाहनों में व्हीकल लोकेशन ट्रेकिंग डिवाइस (वीएलटीडी) व आपातकालीन बटन (पेनिक बटन) लगाने के लिए चार कंपनियां मानकों पर खरी उतरने बाद उन्हें काम दे दिया है। चारों कंपनियां दोनों डिवाइस को लगा सकती है। इन डिवाइस को लगवाने में साढ़े छह हजार रुपये का खर्च आएगा। प्रदेश में करीब 10 लाख वाहनों पर इन्हें लगाया जाना है। विभाग ने चारों कंपनियों के दस्तावेज जांच के बाद डिवाइस का तकनीकी परीक्षण किया गया था। तकनीकी परीक्षण में वीएलटीडी से वाहन की गति, मार्ग व कहां रुकी। यह सब कुछ आनलाइन दिख रहा था। वाहन का लाइव स्टेट्स स्क्रीन पर दिख रही थी।
बस, कैब, टैक्सी में महिला सुरक्षा को लेकर भोपाल में निर्भया फंड के तहत कंट्रोल कमांड सेंटर बनाया गया है। इन यात्री वाहनों की आन लाइन निगरानी की जानी है। इसके लिए वाहनों में वीएलटीडी व पेनिक बटन को अनिवार्य किया है। एक अगस्त से यह लागू भी हो चुका है, लेकिन वीएलडीटी व पेनिक बटन लगाने वाली कंपनियां निर्धारित नहीं थी। इस वजह से डिवाइस नहीं लग सके हैं। डिवाइस लगाने वाली कंपनियों से परिवहन विभाग ने आवेदन मांगे थे। 13 कंपनियों ने इसके लिए आवेदन किए थे। जिन कंपनियों ने दस्तावेज भी पूरे जमा नहीं किए, वह तकनीकी परीक्षण तक नहीं पहुंच पाई। 13 में से चार कंपनियों ने शर्तों को पूरा किया है। एक्यूट कम्युनिकेशन सर्विस प्राइवेट लिमिटेड, आरडीएम इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, जीआरएल इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड, इकोगस इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड मानकों को पर खरा उतरी है।इन्हें काम दे दिया है।
हर संभाग में खोलना होगा सर्विस सेंटर
जिन कंपनियों को वीएलटीडी व पेनिक बटन लगाने का कार्य दिया जाएगा, उन्हें हर संभाग में अपना सर्विस सेंटर खोलना होगा। ताकि डिवाइस में दिक्कत आने पर आपरेटर को सर्विस मिल सके। यदि कंपनी कोई दिक्कत करती है। उसका करार निरस्त हो जाता है। जिन वाहनों में में डिवाइस लग चुके हैं। उनको सर्विस देने के लिए सेंटर संचालित रखने होंगे। पेनिक बटन व वीएलटीडी लगने के बाद वाहन अलग रूट पर नहीं चल सकेगा। जो उसका रूट निर्धारित होगा, उस पर ही जाना होगा। दिसंबर 2018 के पहले के वाहनों में यह दोनों डिवाइस लगने हैं। 2018 के बाद खरीदे गए वाहनों में यह डिवाइस कंपनी से लगकर आ रहे हैं।
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