भोपाल। शहर की तरह अब ग्राम पंचायतों में संपत्तिकर देना पड़ेगा। पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी स्वयं की आय बढ़ाने के लिए शासन ने संपत्तिकर वसूली का अधिकार दे दिया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के पीएस उमाकांत उमराव ने इस पर प्रभावी कार्रवाई के लिए पत्र जारी किया है। शहर की तरह अब ग्राम पंचायतों में रहने वाले लोगों को संपत्ति कर देना होगा। पीएस के पत्र पर जिले के सभी जनपद पंचायत अधिकारियों ने ग्राम पंचायतों को पत्र भेजकर पंचायत क्षेत्र में संपत्तिकर निर्धारण व कर संकलन के लिए प्रभावी कार्रवाई का निर्देश दिया है। पत्र के जिरए पंचायतों से कहा गया है कि संपत्तिकर वसूली से पंचायतें आत्मनिर्भर बनेंगी और उनकी स्वयं की आय बढ़ेगी।
संलकलित का अधिकार दिया
टैक्स वसूली के लिए पंचायतों को शासन ने वैकल्पिक कर, फीस आदि अधिरोपित करने व संलकलित का अधिकार दिया गया है। संपत्तिकर के साथ जलकर भी लगाए जाने की तैयारी है। पंचायतें शासन से मिले पत्र को वाट्एसग्रुप पर शेयर कर ग्रामीणों से संपत्तिकर को लेकर सहयोग मांग रही है। इसी तरह अन्य ग्राम पंचायतों के सरपंच-सचिव कर निर्धारण के लिए प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। पत्र मिलने के बाद चुने गए नए सरपंचों ने ग्रामीणों से संपत्तिकर वसूल किए जाने के लिए वाट्एसप ग्रुप के जरिए विचार-विर्मश के साथ ही सहयोग के लिए आग्रह कर रहे हैं।
छह हजार से अधिक मूल्यांकन पर लगेगा कर
पंचायतों में भूमि, भवन या दोनों पर, जिसका मूल्य छह हजार से अधिक होगा। ऐसे संपत्तियों पर संपत्तिकर वसूल किए जाने के दायरे में रखा गया है। संपत्तिकर निर्धारण के लिए पंचायत स्तर पर तय किया जाएगा। इसके लिए पंचायतें खुली बैठक में कर निर्धारण के लिए प्रस्ताव रख सकेंगे।
प्राधिकरण के रूप में कार्य कर रहे
संपत्तिकर में ये भी शामिल करने के आदेश पंचायत क्षेत्र में समस्त निजी आवासीय एवं व्यवसायिक संपत्तियों के साथ-साथ समस्त संस्थान निगम, मंडल, कंपनी, बोर्ड, ट्रस्ट एवं प्राधिकरण के रूप में कार्य कर रहे हैं। जैसे विद्युत वितरण कंपनियां, पर्यटन विकास बोर्ड, वनोपज सहकारी संघ, खनिज विकास निगम, कृषि विपणन बोर्ड आदि की पंचायत क्षेत्र में स्थित संपत्तियों को भी संपत्तिकर निर्धारण एवं संकलन प्रक्रिया में शामिल किया जाए।
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