भोपाल। राजधानी में जनसंख्या के साथ दिनोंदिन बहुमंजिला ईमारतों व उनमें लगने वाली लिफ्ट की संख्या बढ़ती जा रही है। लेकिन सुरक्षा आडिट व लिफ्ट इंजीनियर के परीक्षण के बिना ही इन्हें संचालित किया जा रहा है। जबकि बीते तीन महीने पहले अलकापुरी में लिफ्ट के गड्ढे में गिरकर एक वृद्ध की मृत्यु हो चुकी है। वहीं करीब दो महीने पहले हनुमानगंज इलाके में मेंटेनेंस करने के गए एक इंजीनियर की हादसे में मृत्यु हो गई की। वहीं शहर में बीते दो वर्षों में दो दर्जन से अधिक लिफ्ट दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इसके बावजूद निगम के पास आंकड़े भी नहीं हैं कि शहर में कितने बहुमंजिला ईमारतों व अस्पतालोंं में लिफ्ट लगाई गई है।
तकनीकी विशेषज्ञों की कमी से हर तीन महीने में होने वाला आडिट आज तक किया ही नहीं गया। राज्य सरकार ने सभी नगरीय निकायों को निर्देशित किया है कि बहुमंजिला ईमारतों में लिफ्ट लगाने से पहले इंजीनियर से सुरक्षा आडिट कराना आवश्यक है। लेकिन मजबूरी निगम की है, उसके पास लिफ्ट इंजीनियर का कोई पद ही नहीं है। हालांकि नगरीय निकायों को लिफ्ट इंजीनियर के निर्देशों के आधार पर सेफ्टी व मेंटेनेंस तय करना है। जबकि लिफ्ट इंजीनियर का लायसेंस लेने के लिए योग्यता किसी मान्यता प्राप्त विवि से इलेक्ट्रिकल या मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री या इसके समकक्ष होना चाहिए। वहीं लिफ्टों के संस्थापन निर्माण एवं परीक्षण समेत इलेक्ट्रिकल या मैकेनिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कम से कम पांच वर्ष काम करने का अनुभव होना चाहिए।
लिफ्ट हादसों में अब तक नहीं हुई जिम्मेदारों पर कार्रवाई
सुरक्षा के इंतजाम तो छोड़ दें, यहां आपाताकाल में इमरजेंसी नंबर तक नहीं है। राजधानी में लिफ्ट हादसे लगातार हो रहें हैं। लेकिन अब तक किसी जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकी। लिफ्ट व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एक्ट ही नहीं है। निगम के पास इसकी जिम्मेदारी है। लेकिन अब तक एक भी बार शहर की इमारतों में लगी लिफ्ट का सर्वे नहीं किया है। वर्तमान में सतपुड़ा भवन मुख्य सतर्कता अधिकारी लिफ्ट लगने के बाद उसका लोड और अर्थिंग चैक करके अनुमति पत्र जारी कर देते हैं। हालांकि इस अनुमति पत्र का मतलब यह नहीं कि लिफ्ट सुरक्षा के सभी मापदंड पर लगाई है। विशेषज्ञों के अनुसार राजधानी की बहुमंजिला ईमारतों में करीब 6 हजार लिफ्ट लगी हुई हैं। वहीं हर वर्ष करीब 700 नई लिफ्टें लगाई जा रही हैं। लेकिन इनकी मानीटरिंग करने वाला कोई नहीं है। यही कारण है कि आए दिन शहर में लिफ्ट दुर्घटनाओं की शिकायतें बढ़ती जा रही हैं।
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