भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने थर्ड जेंडरों को भी समाज में उचित स्थान देने की मंशा से सरकारी नौकरियों में भर्ती की पहल शुरू की थी, लेकिन सामाजिक न्याय विभाग के अफसरों ने मुख्यमंत्री की मंशा पर भी पानी फेर दिया है। सामाजिक न्याय विभाग के अफसरों ने मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए आठ महीने पहले दो थर्ड जेंडरों को आउट सोर्स के जरिए नौकरी पर रखा। फिर कार्यालय में दूसरे कर्मचारियों के जरिए प्रताडि़त कराया, जिससे वे नौकरी छोड़कर चले गए।
प्रदेश में थर्ड जेंडरों बदहाली की स्थिति में है। कुछ थर्ड जेंडरों ने कोरोना काल में पीडि़त लोगों के लिए राशन की व्यवस्था करने में मदद भी की थी। हालांकि कोरोना काल में इनका घर-घर जाकर बधाई देेने का काम बंद हो गया था, तो इनके सामने रोजी रोटी का संकट आ गया था। जब यह मामला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक पहुंचा तो उन्होंने थर्ड जेंडरों को सस्ता राशन देने और समाज में स्थान दिलाने के लिए पढ़े लिखों को नौकरी देने की प्रक्रिया शुरू करने की पहल की थी। सामाजिक न्याय विभाग के अफसरों ने सरकार केा खुश करने के लिए आनन-फानन में आउट सॉर्स कंपनी के जरिए भोपाल के मंगलवारा में रहने वाले दो थर्ड जेंडरों को सामाजिक न्याय संचालनालय में नौकरी पर रखवाया। कार्यालय में इनके बैठने की व्यवस्था अलग से कराई गई। गर्मी के सीजन में इन्हें पंखा भी नहीं दिया गया। दूसरे कर्मचारियों ने इनके साथ भेदभाव भी किया। जब इसकी शिकायत अफसरों से की तो उन्होंने भी अनसुना किया और कर्मचारियों का साथ दिया। कार्यालय में भेदभाव और प्रताडऩा से तंग आकर आखिरकार दोनों थर्ड जेंडरों ने नौकरी छोड़ दी। एक थर्ड जेंडर ने बताया कि उन्हें आखिरी कार्य दिवस का वेतन भी नहीं दिया गया है।
थर्ड जेंडर आयोग फाइलों में दफन
सामान्य प्रशासन विभाग ने सरकारी भर्ती के आवेदनों में लिंग के लिए महिला पुरूष के अलावा तीसरे विकल्प के रूप में थर्ड जेंडर को शामिल करने के आदेश जारी कर दिए हैं। इसके बावजूद भी विभागों ने इस पर कोई अलम नहीं किया है। अफसरों की कोताही की वजह से थर्ड जेंडर आयोग का गठन भी फाइलों में दफन है।
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