हुबली । गणेश चतुर्थी पऱ (On Ganesh Chaturthi) कर्नाटक (Karnataka) के हुबली ईदगाह मैदान में (In Hubli Idgah Ground) भगवान गणेश की प्रतिमा (Lord Ganesh Idol) हाईकोर्ट की इजाजत से (With the Permission of High Court) कड़ी सुरक्षा के बीच (Amid Tight Security) स्थापित कर दी गई (Installed)। वैदिक मंत्रोच्चारों के बीच, श्रीराम सेना प्रमुख प्रमोद मुथालिक ने अपने समर्थकों के साथ ईदगाह के मैदान पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की और गणेश भगवान की पूजा-अर्चना की।
पूजा पंडाल के पास मुथालिक ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया, ‘हमने कानूनी दायरे के भीतर पूजा शुरू की थी, लेकिन कुछ अराजक तत्वों ने हमें रोकने की कोशिश की थी। कानून के मुताबिक हम गलत नहीं थे। ये पूजा न सिर्फ हुबली के लोगों के लिए, बल्कि पूरे कर्नाटक की जनता के लिए खुशी की बात होगी।’ मुथालिक ने इस दिन को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा, ‘क्योंकि हिन्दू समुदाय का ये बहुत पुराना सपना था कि हुबली के मैदान पर गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया जाए।’ उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन ने उन्हें 3 दिनों तक पूजा स्थल पर पूजा करने की इजाजत दी है।
पुलिस प्रशासन ने ईदगाह मैदान में किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए हैं। मंगलवार को देर रात हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने धारवाड़ नगर आयुक्त के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें शहर के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी उत्सव आयोजित करने की अनुमति दी गई थी। कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अशोक एस किनागी ने कहा कि संपत्ति धारवाड़ नगरपालिका की है और अंजुमन-ए-इस्लाम 999 साल की अवधि के लिए एक रुपये प्रति वर्ष के शुल्क पर केवल एक पट्टा धारक था।
अंजुमन-ए-इस्लामी ने दावा किया था कि विचाराधीन संपत्ति को पूजा स्थल अधिनियम 1991 के तहत संरक्षित किया गया था, जिसके मुताबिक किसी भी धार्मिक पूजा स्थल को परिवर्तित नहीं किया जा सकता। वहीं उच्च न्यायालय ने विचाराधीन संपत्ति के मामले में कहा, ये धार्मिक पूजा स्थल नहीं था यहां सिर्फ बकरीद और रमजान के लिए नमाज की अनुमति दी गई थी। बाकि समय में इस मैदान का उपयोग बाजार और पार्किग के लिए किया जाता था। कल रात को हाई कोर्ट के आदेश के बाद ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी की तैयारियां शुरू हो गईं थीं।
इससे पहले कर्नाटक हाई कोर्ट के सामने राज्य सरकार ने कर्नाटक राज्य वक्फ बोर्ड की तरफ से दायर याचिका में 25 अगस्त को एकल न्यायाधीश की पीठ द्वारा पारित अंतरिम आदेश पर सवाल उठाते हुए एक अपील दायर किया था। जिसमें उसने पक्षों को भूमि का उपयोग करने से रोक दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इन उद्देश्यों के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए भूमि का इस्तेमाल तनाव पैदा करेगा।
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