नई दिल्ली। भारत (India) में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन (German Ambassador Philipp Ackermann) ने मंगलवार को कहा कि भारत की सीमा (Indian border) पर चीनी ‘अतिक्रमण काफी कठिन’ (Chinese ‘encroachment hard enough’) विषय है जिसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए और अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) पर चीन का दावा हैरान करने वाला है। नवनियुक्त जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन मीडियाकर्मियों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चीन के साथ भारत की सीमा पर की समस्या यूक्रेन पर रूसी हमले से अलग है और दोनों मुद्दों की तुलना नहीं की जानी चाहिए।
उन्होंने यह टिप्पणी तब की जब भारत की इस दलील के बारे में पूछा गया कि एशिया में अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन पर यूरोप की प्रतिक्रिया अक्सर मौन रही हैं, लेकिन जब अपने क्षेत्र में समस्याओं की बात आती है तो उसकी प्रतिक्रिया भिन्न होती है। उन्होंने कहा, ‘हम उत्तरी सीमा पर भारत की समस्या से अवगत हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि चीन अरुणाचल प्रदेश के चीन का हिस्सा होने का दावा करता है। हम स्पष्ट तौर पर देखते हैं कि सीमा पर अतिक्रमण बेहद कठिन है और इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।’
जर्मन राजदूत ने कहा कि चीन की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि यह मुद्दा यूक्रेन संकट से पूरी तरह से अलग है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ”आपको यह अंतर भी करना चाहिए कि चीन के साथ सीमा पर जो होता है उसका यूक्रेन की घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं है। चीन का भारतीय क्षेत्र के 20 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा नहीं है। चीन व्यवस्थित रूप से क्षेत्र के हर गांव, हर शहर को नष्ट नहीं कर रहा है।
एकरमैन ने भारत-जर्मनी संबंधों के संदर्भ में कहा कि जर्मनी की नयी सरकार का भारत की ओर एक स्पष्ट बदलाव है क्योंकि व्यापार, जलवायु परिवर्तन, रक्षा और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने लंबे समय से लंबित भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इसके लिए एक बहुत महत्वाकांक्षी समयसीमा निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि अगले दौर की वार्ता जल्द ही होने वाली है और उसमें ठोस प्रगति दिख सकती है।
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