नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को रंगदारी के एक मामले में निजी चैनल के पत्रकार अरूप चटर्जी (Journalist Arup Chatterjee) की गिरफ्तारी (arrested) पर सवाल उठाए हैं। शीर्ष न्यायालय ने पुलिस द्वारा रात में बेडरूम से पत्रकार की गिरफ्तारी की निंदा की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्रकार आतंकवादी नहीं (Journalists not terrorists) है। पुलिस की कार्रवाई ज्यादती है। ऐसा लगता है कि झारखंड में पूरी तरह अराजकता व्याप्त है।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने पत्रकार को अंतरिम जमानत देने के झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह राज्य की अपील पर विचार नहीं करेगी। न्यायालय ने घटना पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए झारखंड के अतिरिक्त महाधिवक्ता अरुणाभ चौधरी से कहा कि आप आधी रात को एक पत्रकार का दरवाजा खटखटाते हैं और उसे उसके बेडरूम से बाहर निकालते हैं। आप ऐसा एक ऐसे व्यक्ति के साथ कर रहे हैं, जो पत्रकार है और पत्रकार आतंकवादी नहीं हैं।
भाग्यशाली हैं अरूप चटर्जी: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय ने सही तरह से एक विस्तृत आदेश के जरिए पत्रकार को अंतरिम जमानत दी, जिसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अरुणाभ चौधरी ने आरोप लगाया कि पत्रकार अरूप चटर्जी ब्लैकमेल करने और जबरन वसूली जैसी गतिविधियों में शामिल रहे हैं और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। इस पर पीठ ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि तीन दिन में बाहर आ गए, नहीं तो उनके जैसे कई लोगों को जमानत से पहले दो-तीन महीने जेल में बिताने पड़ते हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved