नई दिल्ली। देश (Suicide Rate in India) में वर्ष 1967 के बाद पहली बार सबसे अधिक आत्महत्या दर (suicide rate) दर्ज की गई है। बीते साल प्रति दस लाख की आबादी पर 120 लोगों ने खुदकुशी की। यह दर 2020 के मुकाबले 6.1 फीसदी ज्यादा (6.1 percent more than in 2020) है। इससे पहले सबसे ज्यादा आत्महत्या की दर वर्ष 2010 में रिकॉर्ड की गई थी। तब प्रति दस लाख लोगों पर 113 लोगों ने आत्महत्या की थी। यह खुलासा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों से हुआ है।
ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक, ना केवल आत्महत्या की दर में इजाफा हुआ बल्कि आत्महत्या करने वालों की गिनती में भी करीब 7.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जो चिंताजनक है।
कम आय वालों की संख्या ज्यादा
आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या करनेवालों में कम आय वाले लोगों की संख्या ज्यादा है। कुल आत्महत्या के मामलों में दो तिहाई लोग प्रतिवर्ष एक लाख रुपये से कम कमाने वाले वर्ग के थे। इसके अलावा छोटे व्यापारी तथा प्रतिदिन कमाने खाने वाले लोगों में भी आत्महत्या के मामले 2021 में बढ़े हैं। इसके बाद नौकरी करने वाले और छात्रों की संख्या है।
फिर बढ़ रहे अपराध
महामारी से संबंधित मामले हटाने से पता चलता है कि साल 2019 और 2020 दोनों की तुलना में 2021 में अपराध तेजी से बढ़े हैं। महामारी से संबंधित अपराधों को नहीं देखा जाए तो 2020 में 46 लाख और 2021 में 50 लाख मामले दर्ज किए गए थे।
वर्ष 2021 में लॉकडाउन के नियमों में ढील मिलने की वजह से अपराधों में कमी दर्ज की गई। अपराध के मामले 2020 में 66 लाख से घटकर 2021 में 61 लाख हो गए। वहीं नियमों में ढील मिलने से यातायात दुर्घटनाएं अधिक हुईं। दुर्घटना में जान गंवाने वालों की संख्या 3.74 लाख से बढ़कर 3.97 लाख हो गई। अन्य कारणों से होने वाली दुर्घटनाओं से मौतों में वृद्धि हुई है।
आकस्मिक मौतें कम हुईं
वर्ष 2020 की तुलना में 2021 में भूकंप, बाढ़ या गर्मी से होने वाली आकस्मिक मौतें कम दर्ज की गई। 2020 में जहां 7,405 लोगों की आकस्मिक मौत हुई वहीं 2021 में 7,126 लोगों की जान गई। 2019 में आकस्मिक मौत से मरने वालों की संख्या 8,145 थीं।
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