उज्जैन। फ्रीगंज का समानांतर ब्रिज शहर के लिए बहुत जरूरी है लेकिन नेता ध्यान नहीं दे रहे हैं। एक साल पहले डीपीआर बनी थी और फाईल भोपाल में अटकी है। डेढ़ साल पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कैबिनेट मंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की थी कि जल्द ही उज्जैन का फ्रीगंज वाला समानांतर ब्रिज बनेगा। इसके बाद 6 महीने सर्वे में लग गए और 6 महीने ड्राइंग डिजाइन आदि कामों में लग गए तथा 4 महीने से इस ब्रिज की सर्वे के 90 करोड़ रुपए की राशि के प्रस्तावित स्टीमेट की फाइल स्वीकृति के लिए भोपाल भेजी गई।
बताया जा रहा है कि इस बीच की स्वीकृति के लिए बैठक होनी थी जो अभी तक नहीं हो पाई है। लोक निर्माण सेतु निगम के अधिकारी भी भोपाल बार-बार बात कर रहे हैं लेकिन वहाँ से स्वीकृति नहीं होने के कारण टेंडर आदि की प्रक्रिया नहीं हो सकती है। अब स्वीकृति के पश्चात ही टेंडर प्रक्रिया होगी और इसे बनने में भी 2 वर्ष लगेंगे। मतलब साफ है कि चुनाव के बाद ही शहर वासियों को फ्रीगंज ओवर ब्रिज के समानांतर ब्रिज मिल पाएगा। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में जो फ्रीगंज का ओवर ब्रिज बना है, वह 1954 में बना था और बुरा हो चुका है तथा कई जगह से जर्जर भी होता है, जिसको रिपेयर कर काम चलाया जा रहा है।