भोपाल। देश के हृदय प्रदेश मप्र में 100 साल बाद हाथियों की बापसी हो रही है। इससे पहले हाथी मध्यप्रदेश की सीमा में घूमकर चले जाते थे। 1920 के बाद 2022 में गजराज ने देश के दिल में स्थाई ठिकाना बना लिया है। जानकार मानते हैं कि जो लौटे हैं, उन हाथियों का असल ठिकाना मप्र ही है। हाथियों को सुरक्षित माहौल देने के लिए वन विभाग ने अनूपपुर, सिंगरौली, सीधी और शहडोल के बीच सेफ कॉरिडोर बनाया है। बताया जाता है कि 2007 में हाथियों ने छत्तीसगढ़ से मप्र में आना शुरू किया था। यह बारिश के कुछ महीने रहकर वापस चले जाते थे। जानकार मानते हैं कि मप्र में पड़ोसी राज्य से अच्छा और सुरक्षित माहौल मिलने के कारण हाथी यहीं रुक रहे हैं। मध्यप्रदेश के वन अधिकारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड में जंगल के भीतर हो रहे खनन से हाथी परेशान हो रहे हैं। यही वजह है कि वे अपने लिए ज्यादा सुरक्षित ठिकाना खोज रहे हैं। पश्चिम बंगाल में भी इसलिए हाथी बढ़े हैं।
बांधवगढ़ में बढ़ रहा कुनबा
1920 के बाद 2022 में सरकार ने आधिकारिक ऐलान कर दिया है कि अब हम भी एलिफेंट स्टेट बनने की कैटेगरी में हैं। बाघों के लिए मशहूर बांधवगढ़ अब हाथियों के कुनबे को बढ़ाने में लगा है। यहां प्रदेश के सबसे ज्यादा 50 हाथी हैं। इसके बाद सीधी के संजय राष्ट्रीय उद्यान में 10 हाथी हैं।
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