नई दिल्ली/भोपाल। भारतीय जनता पार्टी का अनुसूचित जाति मोर्चा दलितों के बीच मजबूत पकड़ बनाने के लिए जल्द ही बस्ती संपर्क अभियान शुरू करने जा रह है। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत चलाए जाने वाले इस अभियान के तहत भाजपा अजा मोर्चा देशभर में 75 हजार दलित बस्तियों में पहुंचेगा। अजा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से संविधान दिवस 26 नवंबर तक बस्ती संपर्क अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। जल्द ही अभियान की रूपरेखा सभी राज्यों की इकाइयों तक भेज दी जाएगी। इस अभियान में पार्टी के राष्ट्रीय नेता भी उतरेंगे।
बस्ती संपर्क अभियान के तहत भाजपा अजा मोर्चा देश भर में 7500 अजा वर्ग के छात्रावासों में भी पहुंचेगा। जिसमें छात्रावासों में रहने वाले विद्यार्थियों से भी संपर्क किया जाएगा। बस्ती संपर्क अभियान के संबंध में पिछले दिनों दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कार्यालय में मोर्चा पदाधिकारियों की बैठक हो चुकी है। इस अभियान को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की भी हरी झंडी मिल चुकी है। खास बात यह है कि इस अभियान में सभा राज्यों के मोर्चा इकाइयों के अलावा पार्टी अध्यक्ष भी शामिल होंगे। जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, उन राज्यों में मुख्यमंत्री भी बस्ती संपर्क अभियान में उतरेंगे। साथ ही केंद्रीय मंत्री, सांसद एवं विधायक भी बस्ती संपर्क अभियान के तहत दलितों के बीच जाएंगे।
जल्द जारी होगा कार्यक्रम
बस्ती संपर्क अभियान को लेकर भाजपा अजा मोर्चा की ओर से जल्द ही विस्तृत कार्यक्रम जारी किया जाएगा। जिसके तहत पार्टी नेता अजा वर्ग के उन आजादी के महानायकों के गांव भी पहुंचेंगे, जिन्होंने आजादी दिलाने में भूमिका निभाई थी। ऐसे महानायकों की सूची तैयार की गई है। खास बात यह है कि आजादी के महानायकों के गांव, शहर में पार्टी के बड़े नेता जाएंगे।
मप्र में दलितों को साधेगी भाजपा
मप्र में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा हर वर्ग को साधने में जुट गई है। दलित बाहुल्य क्षेत्रों में भाजपा बड़े आयोजन करने की तैयारी में है। महापुरूषों की जयंती एवं पुण्यतिथियों पर बड़े आयोजन होंगे। खासकर ग्वालियर-चंबल, विंध्य, बुंदेलखंड क्षेत्र में दलितों को साधने के लिए भाजपा उनके बीच जाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव से पहले मप्र में 2 अप्रैल 2018 को दलित हिंसा हुई थी। हिंसा का सबसे ज्यादा असर ग्वालियर-चंबल में ही दिखा था। दलित हिंसा से जुड़े ज्यादातर अपराधिक केस सरकार ने वापस कर लिए हैं।
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