भोपाल: मध्य प्रदेश कर्मचारी आयोग (Madhya Pradesh Staff Commission) ने सरकार से सिफारिश की है कि राज्य के सरकारी कर्मचारियों (state government employees) और अधिकारियों की रिटायरमेंट की उम्र सीमा 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी जाए. अब इस प्रस्ताव पर तृतीय कर्मचारी संघ ने विरोध जताया है. उन्होंने इस प्रस्ताव को युवाओं के विरोध में बताया है.
तृतीय कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने कहा कि ये प्रस्ताव युवाओं के खिलाफ है. यह फैसला 62 वर्ष से ज्यादा रिटायरमेंट की उम्र नहीं होना चाहिए. इन कर्मचारियों और अधिकारियों का जीवन निर्वहन पेंशन के सहारे हो सकता है. यदि उम्र बढ़ी तो लाखों युवा ओवरएज हो जाएंगे.
उमाशंकर तिवारी ने कहा कि एक तरफ सीएम के सरकारी नौकरियों में 1 पदों पर भर्ती शुरू कर रहे तो उम्र बढ़ाने का सवाल ही नहीं उठता. सीएम ने बड़ा फैसला लिया है भर्तियां शुरू होने जा रही हैं ऐसे में कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र नहीं बढ़ना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो ये युवाओं के खिलाफ होगा.
आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा है कि नई भर्ती न होने और पुराने कर्मचारियों की लगातार हो रही सेवानिवृत्ति की वजह से अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी है. राज्य कर्मचारी कल्याण आयोग की तरफ से सिफारिश नोटशीट में साफ जिक्र किया गया है कि विभागों में स्टाफ की कमी के चलते शासकीय कार्य का प्रभावित हो रहा है. इसलिए कर्मचारियों और अधिकारियों की रिटायरमेंट उम्र तीन साल बढ़ा दिया जाए.
सरकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा ने पत्र में लिखकर कहा है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग में कई पद खाली पड़े हुए. नई भर्ती न होने की वजह से आने वाले समय में होने वाले चुनाव पर इसका असर देखने को मिलेगा.
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