इंदौर। बैंकॉक में भारत-थाई राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर तीन दिवसीय आयोजन चल रहा है, जिसके चलते प्रदेश की संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास और धर्मस्व मंत्री उषा ठाकुर और पर्यटन बोर्ड के अतिरिक्त प्रबंध निदेशक विवेक श्रोत्रिय सहित अन्य अधिकारी थाईलैंड पहुंचे हैं। इस अवसर पर मध्यप्रदेश का स्टॉल भी लगाया गया। वहीं मंत्री ने थाईलैंड के पर्यटकों को भारत और विशेषकर मध्यप्रदेश आने का न्योता दिया और महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर जैसे जग प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग के साथ मां नर्मदा और बौद्ध धर्म स्थलों की जानकारी भी दी। बैंकॉक के एम. क्वॉर्टियर शॉपिंग सेंटर में कल बुद्ध भूमि भारत-बुद्ध के पदचिह्नों पर यात्रा कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मंत्री उषा ठाकुर, थाईलैंड में भारतीय राजदूत सुचित्रा दुरई, पर्यटन बोर्ड के अतिरिक्त प्रबंध निदेशक विवेक श्रोत्रिय, वाइस चांसलर सांची विश्वविद्यालय निरजा गुप्ता भी मौजूद रहीं। मंत्री ने कहा कि अध्यात्म और संस्कृतिप्रेमी थाईलैंड के पर्यटकों के लिए मध्यप्रदेश एक विशेष पर्यटन स्थल है।
अतुल्य भारत का हृदय मध्यप्रदेश धार्मिक, आध्यात्मिक, पुरातत्व और ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध है। भारत की सबसे पुरातन और पावन नदियों में से एक मां नर्मदा मध्यप्रदेश के अमरकंटक से प्रवाहित होती है। राज्य में दो प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर भी हैं। मंत्री ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में बौद्ध धर्म की पुरातात्विक और सांस्कृतिक धरोहरें थाईलैंड के पर्यटकों के लिए अमूल्य हैं। सांची के स्तूप, विदिशा, ग्यारसपुर, उदयगिरि, सतधारा सुनारी और अंधेर, मुरेलखुर्द जैसे महत्वपूर्ण बौद्ध पर्यटन स्थलों पर आकर सभी पर्यटक आनंद की अनुभूति करेंगे। मंत्री ठाकुर ने थाईलैंड के पर्यटकों को आमंत्रित करते हुए कहा कि आप सभी मध्यप्रदेश आएं और बौद्ध धर्म के पुरातन स्थापत्य और संस्कृति का आध्यात्मिक आनंद लें।
साथ ही भगवान बुद्ध के उपदेशों और शिक्षा को अपने जीवन में आत्मसात करें। थाईलैंड की संस्कृति मंत्री इथिपोल कुनप्लोम ने कहा कि थाईलैंड में अधिकांश आबादी बौद्ध है, इसलिए थाई लोग अपने जीवनकाल में एक बार विशेष रूप से भारत की यात्रा करना चाहते हैं। विश्व धरोहर सांची, बोधगया, कुशीनगर और भारत के कई अन्य स्थान बौद्ध धर्म के प्रमुख केंद्र हैं। न केवल बौद्ध धर्म और धार्मिक पर्यटन के लिए, बल्कि भारत सांस्कृतिक विरासत के मामले में भी समृद्ध है। हमने भारत से बहुत कुछ सीखा है। बुद्धभूमि कार्यक्रम त्रिरत्नभूमि सोसायटी, इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्फिगरेशन, इंडियन काउंसिल ऑफ कल्चर रिलेशन और भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित किया गया है।
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