मुख्यमंत्री ने भोपाल और इंदौर में ठेले चलाकर इकट्ठे किए थे लाखों के खिलौने, तो दूसरी तरफ विवादित खिलौना क्लस्टर का आज शिलान्यास
इंदौर। पिछले दिनों आंगनवाडिय़ों के लिए मुख्यमंत्री (Chief Minister) ने पहले भोपाल और फिर इंदौर (Bhopal and then Indore) में ठेले चलाकर लाखों रुपए के खिलौने बटोरे, जो छावनी स्थित कमला नेहरू स्कूल (Kamla Nehru School at Cantonment) के दो कमरों में भरे धूल खा रहे हैं, तो दूसरी तरफ आज खिलौना क्लस्टर का शिलान्यास किया जा रहा है। उसमें भी जो 20 भूखंड आवंटन किए जा रहे हैं उसको लेकर भी बवाल मचा है और हाईकोर्ट में भी चुनौती दी गई है। 3.565 हेक्टेयर यानी लगभग 9 एकड़ राऊ रंगवासा की जमीन पर यह टॉय क्लस्टर स्थापित किया जा रहा है, जिसमें शासन ने दावा किया कि लगभग 80 करोड़ रुपए का निवेश तो पहले चरण में ही हो जाएगा और दो हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। माणिकबाग रोड स्थित अमरदास हॉल में रोजगार दिवस के अवसर पर इस खिलौना क्लस्टर का शिलान्यास मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने आज किया।
जितने भी क्लस्टर लघु, सुक्ष्म और मध्यम विभाग ने घोषित किए उनमें अधिकांश में जमीनों की झंझट से लेकर अपात्रों को भूखंड आवंटन की शिकायतें चल रही है। खिलौना क्लस्टर, जिसका आज शिलान्यास हुआ उसके भी 20 भूखंडों पर बीते कई महीनों से शिकायतें, कोर्ट-कचहरी जारी है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेशसिंह यादव ने पिछले दिनों भी बिना टेंडर और प्रक्रिया का पालन किए भूखंड आबंटन करने का आरोप लगाया और 40 करोड़ की जमीन की बंदरबांट में करोड़ों के लेन-देन की बात भी कही गई। जब नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की आचार संहिता चल रही थी तब भी खिलौना क्लस्टर के भूखंडों के ताबड़तोड़ आबंटन-पत्र जारी किए गए। पहले जिन 20 आवंटितों को ये भूखंड दिए थे उनकी सुनवाई की प्रक्रिया भी आयुक्त लघु, सुक्ष्म एवं मध्यम उद्यम विभाग पी. नरहरि ने की। मगर उसके बाद फिर हाईकोर्ट में उसे चुनौती दी गई, जहां से नोटिस जारी हुए हैं। इस संबंध में जहां कांग्रेस विरोध प्रदर्शन कर रही है, वहीं दूसरी तरफ उद्योगपतियों ने भी मुख्यमंत्री को हकीकत बताने की बात कही है। हालांकि विभागीय मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा इसमें किसी तरह की गड़बड़ी से इनकार करते हैं और उनका कहना है कि सब कुछ पारदर्शिता से ही किया गया है। एक तरफ खिलौना क्लस्टर का बवाल है, तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ने आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिए जो लाखों के खिलौने बटोरे वे बिना बंटे इंदौर में ही धुल खा रहे हैं। पहले आचार संहिता के कारण ये खिलौने नहीं बंट सके, अब पता नहीं कौन-से मुहूत्र्त का इंतजार महिला बाल विकास विभाग को है।
हाईकोर्ट के नए आदेश का करवाऊंगा परीक्षण- नरहरि
खिलौना क्लस्टर के शिलान्यास के लिए इंदौर में मौजूद सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के सचिव से जब अग्निबाण ने चल रहे विवाद और 20 भूखंडों के आवंटन के संबंध में पूछा तो उन्होंने कहा कि कुछ समय पूर्व उन्होंने हाईकोर्ट आदेश पर ही सुनवाई की प्रक्रिया पूरी कर स्पीकिंग ऑर्डर पारित किया था। मगर जब अग्निबाण ने उन्हें अभी 22 अगस्त का एक नया हाईकोर्ट आदेश बताया, जिसमें कहा गया कि पूरी आबंटन प्रक्रिया याचिका के अंतिम फैसले के अधीन रहेगी और चार सप्ताह में शासन जवाब भी दे। इस बारे में श्री नरहरि ने कहा कि हाईकोर्ट के इस नए आदेश की जानकारी उन्हें नहीं थी। लिहाजा इसका भी वे परीक्षण करवाएंगे। वैसे भी आज सिर्फ शिलान्यास ही होना है। आबंटन की प्रक्रिया तो बाद में होगी।
फुट वियर क्लस्टर के लिए भी शासन से मांगी जमीन
नमकीन, मिठाई, खिलौना, फुट वियर, फर्नीचर सहित कई क्लस्टरों की ताबड़तोड़ घोषणाएं तो कर दी गई, मगर हकीकत में एक भी क्लस्टर अमल में नहीं आ सका है। फुट वियर क्लस्टर के लिए भी 300 एकड़ जमीन मांगी गई है। एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज ने जूता-चप्पल उद्योग के लिए इस क्लस्टर की स्थापना की मांग करते हुए कल एमपीआईडीसी के कार्यकारी निदेशक रोहन सक्सेना से चर्चा भी की, जिसमें लगभग दो दर्जन से अधिक फुट वियर निर्माता मौजूद रहे। एसोसिएशन का कहना है कि लगभग 100 छोटे-बड़े फुटवियर से जुड़े उद्योग इस क्लस्टर में आने को तैयार हैं, अगर उक्त जमीन मिल जाए। इंदौर से 20 से 30 किलोमीटर के दायरे में ही फुट वियर क्लस्टर के लिए जमीन की मांग की जा रही है।
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