नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने पतजंलि के‘कोरोनिल’ (Coronil) दवा के उपयोग को लेकर विभिन्न डॉक्टरों के संगठनों की याचिका पर सुनवाई 30 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी. अदालत ने कहा कि न्यायिक औचित्य और अनुशासन को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही को तब तक रोका जाए, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के समक्ष कथित रूप से इसी तरह के मुद्दों के लंबित होने के संबंध में ‘‘कुछ स्पष्टता” नहीं हो.
दरअसल, इस पूरे प्रकरण को लेकर न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने कहा कि ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ (आईएमए) द्वारा शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित याचिका की एक प्रति उच्च न्यायालय के समक्ष पेश की जाये, ताकि वह इस पर निर्णय ले सके कि क्या इस मामले में कोई ‘‘समानता” है और क्या उसे इस पर आगे बढ़ना चाहिए?
उल्लेखनीय है कि कई चिकित्सक संगठनों ने पिछले साल उच्च न्यायालय का रुख कर यह आरोप लगाया था कि रामदेव जनता को यह कहकर गुमराह कर रहे हैं कि एलोपैथी कोविड-19 से संक्रमित कई लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार रही. याचिका में आरोप लगाया गया कि रामदेव यह दावा कर गलत जानकारी पेश कर रहे हैं कि पतंजलि की ‘कोरोनिल’ कोरोना वायरस का इलाज है. संगठनों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अखिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका के तथ्यों के बारे में पता नहीं है. हालांकि, उन्होंने मामले को जनहित से जुड़ा बताकर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया.
वहीं, रामदेव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी.वी. कपूर ने कहा कि कार्यवाही को फिलहाल के लिए टाल दिया जाना चाहिए, क्योंकि उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित मामला भी मौजूदा याचिका जैसा ही है. याचिका में आरोप लगाया गया कि रामदेव यह दावा कर गलत जानकारी पेश कर रहे हैं कि पतंजलि की ‘कोरोनिल’ कोरोना वायरस का इलाज है।
संगठनों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अखिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका के तथ्यों के बारे में पता नहीं है। हालांकि, उन्होंने मामले को जनहित से जुड़ा बताकर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया। वहीं, रामदेव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी.वी. कपूर ने कहा कि कार्यवाही को फिलहाल के लिए टाल दिया जाना चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित मामला भी मौजूदा याचिका जैसा ही है।
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