रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) के विधानसभा की सदस्यता (assembly membership) जाने पर सूबे में सियासी समीकरण (political equation) बदल सकता है। हेमंत सोरेन के सीएम पद छोड़ने के बाद की स्थिति से झामुमो कैसे निपटेगा, सहयोगी दलों और विपक्ष की क्या भूमिका होगी, इसे ऐसे समझा जा सकता है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा
1. विधानसभा में की सबसे अधिक 30 सदस्यों वाली सबसे बड़ी पार्टी का लाभ मिलेगा झामुमो को
2. सरकार हर हाल में झामुमो के हाथों रहेगी, हेमंत अप्रत्यक्ष रूप से कमान संभालेंगे
3. कांग्रेस और राजद सहित छोटे दलों का झामुमो को बिना शर्त समर्थन मिलता रहेगा
कांग्रेस
1. हेमंत सोरेन के सरकार से बाहर आने के बाद भी कांग्रेस समर्थन जारी रख सकती है
2. झामुमो को बदली हुई परिस्थिति में समर्थन देकर कांग्रेस पार्टी का राजनीतिक कद बढ़ सकता है
3. मुख्यमंत्री कमजोर होने पर साथी दल के रूप में सरकार में कांग्रेस का प्रभाव और अधिक बढ़ सकता है
भारतीय जनता पार्टी
1. भारतीय जनता पार्टी सत्तारूढ़ महागठबंधन पर पहले से भी ज्यादा हमलावर हो सकती है
2. भाजपा हर हाल में झारखंड में मध्यावधि चुनाव करवाने का दबाव बनाएगी ताकि उसे लाभ मिल सके
3. हेमंत सोरेन पर लगे आरोप के बाद भाजपा पूरी सरकार से इस्तीफे की मांग करेगी
हेमंत और सोरेन परिवार
1. हेमंत सोरेन को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित न करने पर वह इस्तीफा देकर दुबारा महागठबंधन विधायक दल के नेता चुने जा सकते हैं
2. फिर छह माह के अंदर वह दुबारा चुनाव लड़कर विधायक बनकर आ सकते हैं, सरकार की कमान उनके पास पहले की तरह बनी रहेगी
3. चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने पर पत्नी कल्पना सोरेन अथवा परिवार के किसी सदस्य को विधायक दल का नेता चुना जा सकता है
4. सोरेन परिवार के किसी सदस्य के राजी न होने पर झामुमो के विश्वस्त विधायक को पेश किया जा सकता है
निर्दलीय एवं छोटे दल
1. छोटे दल एनसीपी और भाकपा माले पूर्ववत सरकार को समर्थन देती रहेगी
2. दो आजसू और दो निर्दलीय विधायक नई सरकार के विरोध में खड़े हो सकते हैं
3. परिस्थितियां बदलीं तो निर्दलीय और छोटे दल बदल सकते हैं अपना स्टैंड
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