दिल्ली (Delhi) की सीमाओं से वापस लौटने के करीब आठ महीने बाद किसानों (Farmers) ने एक बार फिर दिल्ली में हुंकार भरी है। बड़ी संख्या में किसानों ने जंतर मंतर (Jantar Mantar) पर महापंचायत (Mahapanchayat) की और संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) United Kisan Morcha के बैनर तले जुटे किसानों ने केंद्र सरकार पर वादा-खिलाफ का आरोप लगाया। इस मामले में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने केंद्र सरकार (Central Government) पर न्यूनतम समर्थन मूल्य Minimum Support Price (MSP) के मुद्दे पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि समस्या का समाधान नहीं होने तक किसान अपना पक्ष रखते रहेंगे।
वहीं, गांधी पीस फाउंडेशन में अशोक धवले द्वारा लिखित ‘भारत में किसानों के आंदोलन का भविष्य’ पुस्तक के विमोचन और एक संगोष्ठी में टिकैत ने कहा, “ किसान आंदोलन के बाद हमने अपनी पहली लड़ाई जीत ली है, केंद्र को तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करना पड़ा, अब एमएसपी, बिजली और आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस लेने और किसानों के लिए वृद्धावस्था पेंशन जैसे कई मुद्दों पर लड़ाई जीतनी है। ”
श्री टिकैत ने कहा, “ यह पुस्तक किसानों के आंदोलन और इसकी हर महत्वपूर्ण घटनाओं और तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हमारे एक साल के संघर्ष के विकास के बारे में बताती है, जिसे बाद में केंद्र सरकार ने रद्द कर दिया था। ” उन्होंने कहा, “ पहली बार किसानों के आंदोलन में बड़ी संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया था, जो हमारे लिए एक अच्छा संकेत है। ” एसकेएम के नेता दर्शन पाल ने कहा,“ यह पुस्तक किसान आंदोलन के बारे में विकास की वास्तविक घटनाओं को प्रस्तुत करती है क्योंकि लेखक आंदोलन की उच्च स्तरीय समिति का हिस्सा थे और इसके सक्रिय सदस्य थे। ” दर्शन पाल ने कहा, “ किसानों के मुद्दों को उठाने के लिए हमारा आंदोलन जारी है। हमने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से अपनी यात्रा शुरू की और किसानों की कई अन्य मांगों को जारी रखा है, जिन्हें पूरा करने की आवश्यकता है। ”
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