डेस्क: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ से जुड़े कई नियम, विधियां और महत्व होते हैं, जिसका पालन करना ज़रूरी होता है. बात करें हिंदू धर्म में होने वाले पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान या शुभ-मांगलिक कार्यों के बारे में तो इसमें पंच को विशेष महत्व दिया जाता है. पंच यानी पांच अंक का हिंदू धर्म में बहुत महत्व होता है, जैसे पंचदेव, पंचामृत, पंचगव्य, पल्लव, पांच कर्मेंद्रियां, पंचोपचार पूजा, पंचांग आदि. आखिर क्यों पांच अंक को धार्मिक कार्यों में शुभ माना गया है.
पंचदेव : हिंदू धर्म में पंचदेव की पूजा का विशेष महत्व होता है और पंचदेव के पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य अधूरा माना जाता है. पंचदेव में भगवान सूर्य आकाश तत्व, श्रीगणेश जव तत्व, मां दुर्गा अग्नि तत्व, शिवजी पृथ्वी तत्व और भगवान विष्णु वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इन पांचों देवी-देवताओं की पूजा के बाद ही कोई कार्य संपन्न होते हैं.
पंचोपचार पूजा पद्धति : पंचोपचार पूजा पद्धति में किसी भी देवी-देवता की पूजा पांच तरह से पूजा करने से लिए 5 तरह की मुद्राओं को बताया गया है. मान्यता है कि इस मुद्रा में पूजन करने से देवी-देवता पूजा सामग्री को ग्रहण करते हैं. इनमें गंध मुद्रा, पुष्प मुद्रा, धूप मुद्रा, दीप मुद्रा और नैवेद्य मुद्रा जैसी पांच मुद्राएं होती हैं.
पंचगव्य का महत्व : पूजा में पंचगव्य का भी महत्व होता है. पंचगव्य में पांच प्रकार के गाय से जुड़ी पांच चीजें शामिल होती है. इनमें भूरी गाय का गोमूत्र, लाल गाय का गोबर, सफेद गाय का दूध, काली गाय के दूध से बना दही और दो रंग की गाय का घी का मिश्रण होता है. इसे ही पंचगव्य कहा जाता है.
पंचामृत : पूजा में पंचामृत का भोग ज़रूरी होता है. पंचामृत में दूध, दही, घी, गुड़ और शहद मिलाकर पंचामृत को तैयार किया जाता है.
पंचाग का महत्व : जिस धार्मिक पुस्तक या तालिका में नक्षत्र, करण, वार, तिथि और योग आदि होते हैं, उसे पंचांग कहा जाता है.
पंच पल्लव : पूजा में पंच पल्लव यानी पांच पवित्र व धार्मिक वृक्षों के पत्तों को शुभ माना जाता है. इनमें पीपल, आम, अशोक, गूलर और वट वृक्ष के पत्ते होते हैं.
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