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मध्य प्रदेश में अतिवृष्टि से खरीफ फसलों को नुकसान

August 19, 2022

  • सोयाबीन, मूंग, उड़द, तुअर, मक्का, सब्जी सहित अन्य फसलें हो रही हैं प्रभावित

भोपाल। मध्य प्रदेश के बड़े हिस्से में बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही वर्षा से खरीफ फसलों को नुकसान की स्थिति बनने लगी है। खेतों में पानी भरा हुआ है। इससे सोयाबीन, मूंग, उड़द, तुअर, मक्का, सब्जी सहित अन्य फसलें प्रभावित हो रही हैं। कृषि विभाग ने किसानों को खेत से पानी निकालने की व्यवस्था बनाने की सलाह दी है। यदि यही स्थिति बनी रहती है तो फसलें गलने लगेंगी। पूर्व कृषि संचालक डा.जीएस कौशल का कहना है कि धान और गन्ना के लिए यह वर्षा लाभप्रद है। सोयाबीन सहित अन्य फसलें अधिक समय तक पानी में नहीं रह सकती हैं। भोपाल, रायसेन, सीहोर, विदिशा, हरदा सहित अन्य जिलों में अधिक वर्षा से फसलें प्रभावित हुई हैं। वहीं, अपर मुख्य सचिव कृषि अजीत केसरी का कहना है कि अभी तक फसल प्रभावित होने की सूचना प्राप्त नहीं हुई है। किसानों को खेतों से पानी निकालने के लिए कहा जा रहा है। उधर, राहत आयुक्त कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि वर्षा रुकने के बाद खेतों से पानी उतरने पर पता लगेगा कि फसलों की स्थिति क्या है। मैदानी अधिकारियों को स्थिति पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।



135 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है बोवनी
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 135 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में खरीफ फसलों की बोवनी हो चुकी है। सर्वाधिक 50 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी हुई है। यही स्थिति धान की भी है। अभी 28.27 लाख हेक्टेयर में बोवनी हुई है। मक्का का क्षेत्र इस बार 15 लाख 90 हजार हेक्टेयर हुआ है। उड़द 15.97 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के विरुद्ध 16 लाख 33 हजार हेक्टेयर में लगाई गई है। इन दिनों मौसम ऐसा है कि पानी कब कहां गिरने लगे कुछ पता नहीं। अचानक कभी उमस बढ़ जाती है तो कभी पानी गिरने लगता है।
रात में प्राय: तापमान नीचे गिर जाता है। मौसम की इस आंख मिचौली के बीच कृषि कार्य में लगे लोगों के ऐसे मौसम को लेकर अपने अलग मायने हैं। उनका मानना है कि यह मौसम कुछ फसलों के लिए अमृत जैसा है तो कुछ के लिए नुकसानदेह। पिछले करीब हफ्ते भर से आसमान पर बादलों का डेरा है। रह-रहकर वर्षा भी हो रही है। तीन दिनों के दरमियान तो झमाझम बारिस ने खेतों को लबालब कर दिया। खेतों में कृषि कार्य चालू हैं। कृषि कार्य से जुड़े लोगों का मानना है कि इस वक्त का मौसम धान के लिए सर्वोत्तम है। धान की रोपाई का काम हो चुका है। उसके पौधों को मजबूत बनाने के लिए इस समय गिर रहा पाना अमृत-वर्षा के समान है। किसान इस दिनों होने वाली वर्षा के पानी को खेतों में कुछ समय तक और रोकना चाहेंगे। ताकि पौधे की पानी संबंधी जरूरत पूरी हो जाए। हालांकि अगर वर्षा ऐसे ही चार-छह दिन और जारी रही तो धान को नुकसान भी पहुंच सकता है। इसके विपरीत मूंग-उड़द के लिए भी यह पानी अब खतरे की घंटी बजा रहा है। खेत भर चुके हैं। उनको खाली करने की नौबत आ चुकी है। अगर वो खेतों में पानी भरा रहने देंगे तो मूंग-उड़द के पौधे सडऩे लगेंगे। अच्छी बात यह है कि जबलपुर जिले में उड़द और मूंग की खेती इस सीजन में बहुत कम लोग करते हैं। मझौली जनपद सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में इस सीजन में उड़द और मूंग की फसल ली जा रही है। इसी तरह से तिलहनों के लिए भी लगातार गिरने वाला पानी खतरा माना जाता है। जहां-जहां तिली, सरसों या सोयाबीन लगा है वहां अगर वर्षा-जल के निकासी का पर्याप्त इंतजाम नहीं हुआ तो फसलों को नुकसान होने की आशंका गहरा गई है। ऐसे में आने वाले कुछ दिनों के दौरान भी मौसम ऐसा ही रहा तो तिलहनों को नुकसान पहुंच सकता है।

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