– विष्णुदत्त शर्मा
मध्य प्रदेश में हाल में हुए नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में हुई जीत-हार राजनीतिक विश्लेषण का विषय हो सकती है, लेकिन जनता के संदेश को समझने के लिए किसी विशेषज्ञ की जरूरत नहीं है। सुदूर ग्रामीण अंचलों से लेकर तेजी से महानगर बन रहे शहरों तक यह संदेश एक ही भाषा में है। इससे पता चलता है कि केंद्र और प्रदेश सरकार की गरीब कल्याण तथा विकास की योजनाओं के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी भी जन-जन तक पहुंच चुकी है। एक राजनीतिक दल और जन का आपसी जुड़ाव अब इतना परिपक्व हो चुका है कि विरोधियों के तमाम झूठ और दुष्प्रचार भी इन्हें अलग नहीं कर पा रहे हैं। पार्टी और जन के इस जुड़ाव के शिल्पकार वे परिश्रमी और समर्पित कार्यकर्ता हैं, जो हर मुसीबत में लोगों का सहारा बने। उन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी दी और उनका लाभ भी दिलाया।
राष्ट्रवाद और अंत्योदय के रास्ते पर चलने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकारों के लिए विकास और गरीब कल्याण सिर्फ नारे नहीं हैं, क्योंकि अगर ये नारे होते तो ये भी गरीबी हटाओ के नारे की तरह इतिहास में दफन हो चुके होते। भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और राज्य सरकारों ने गरीब कल्याण और विकास को ही अपना लक्ष्य बनाया और अंत्योदय के लिए पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ प्रयास शुरू किए। लोगों तक वास्तविक लाभ पहुंचाने के लिए योजनाएं डिजाइन की गईं। एक तरफ प्रदेश की भाजपा सरकार ने लाड़ली लक्ष्मी, मुख्यमंत्री कन्यादान, तीर्थदर्शन और संबल जैसी योजनाएं शुरू की, जिनके दायरे में गरीब मजदूरों, किसानों, छोटे व्यापारियों, बुजुर्गों, छात्र-छात्राओं से लेकर गर्भवती महिलाओं तक को शामिल किया गया। वहीं, केंद्र की मोदी सरकार ने लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री आवास, गरीब कल्याण अन्न योजना, स्ट्रीट वेंडर योजना, आयुष्मान भारत योजना, किसान सम्मान निधि और उज्जवला जैसी योजनाएं लागू की तथा उन पर ईमानदारी से अमल के लिए एक सिस्टम भी बनाया। यही वजह है कि केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभ झारखंड और ओड़िशा के आदिवासी अंचलों से लेकर सुदूर उत्तरपूर्व के पहुंचविहीन गांवों तक और विकास के रास्ते पर कदम बढ़ा रहे कस्बों से लेकर महानगरों की झुग्गी बस्तियों तक समान रूप से पहुंच रहे हैं।
भाजपा सरकार की योजनाएं लक्षित वर्ग के जीवन में जो बदलाव ला रही हैं, उसकी कुछ दशक पहले तक कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। जिस व्यक्ति के लिए अपना और परिवार का पेट भरना ही मुश्किल रहा हो, वह पक्के घर में रहने, बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने या महंगे अस्पतालों में इलाज कराने की कल्पना भी कैसे कर सकता था? लेकिन अब यह सब जमीन पर साकार हो रहा है और जनता अपने जीवन में इन योजनाओं के फलस्वरूप आ रहे बदलावों को पूरी शिदृत से अनुभव भी कर रही है। निकाय और पंचायत चुनाव में जनता ने भारतीय जनता पार्टी को जो ऐतिहासिक समर्थन दिया है, वह साफ बताता है कि जनता को विकास की आदत लग गई है और विकास के रास्ते पर अब वह पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहती।
पार्टी संगठन ने स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे के जन्मशताब्दी वर्ष को संगठन पर्व के रूप में मनाने का निर्णय किया था और इसके अंतर्गत संगठन को सशक्त बनाने के लिए अनेक योजनाएं तथा अभियान शुरू किए गए थे। बूथ विस्तारक योजना, बूथ डिजिटाइजेशन और त्रिदेव जैसी योजनाओं को जमीन पर उतारने में पार्टी के उत्साही कार्यकर्ता पूरे समर्पण के साथ जुट गए थे। इन योजनाओं के चलते पार्टी कार्यकर्ताओं ने जन-जन तक अपनी पहुंच बनाई । हर वर्ग के लोगों को पार्टी से जोड़ा। पुराने हितग्राहियों से संपर्क किया और नए पात्र लोगों को योजनाओं से जोड़ा। नगर निकाय और पंचायत चुनाव में पार्टी को मिली सफलता इन कार्यकर्ताओं के परिश्रम का प्रतिफल भी है।
पंचायत और निकाय चुनाव के परिणामों से साबित हो गया है कि ठेठ ग्रामीण अंचलों से लेकर महानगरों तक भाजपा के प्रति जनता का समर्थन बढ़ा है। प्रदेश की 22924 पंचायतों में हुए चुनाव में 19863 से अधिक पंचायतों में भाजपा समर्थित उम्मीदवार सरपंच बने। 51 जिला पंचायतों में से 42 में भाजपा के उम्मीदवार अध्यक्ष चुने गए। यही स्थिति नगरीय निकायों में भी रही। प्रदेश के नौ नगर निगमों में महापौर भाजपा के चुने गए। जिन नगर निगमों में महापौर भाजपा के नहीं हैं, वहां भी पार्षद भाजपा के अधिक हैं और अधिकांश नगर निगम परिषद में भाजपा के उम्मीदवार ही अध्यक्ष चुने गए हैं। यही स्थिति नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में भी रही है। प्रदेश की 76 नगर पालिकाओं में से 59 में भाजपा के अध्यक्ष चुने गए हैं और इनमें से भी दो नगर पालिकाओं में भाजपा निर्विरोध जीती है। इसी तरह प्रदेश की 255 नगर पालिका परिषदों में से 212 में भाजपा के अध्यक्ष चुने गए हैं और 14 नगर परिषदों में भाजपा निर्विरोध चुनाव जीती है। चुनाव तो भाजपा जीती ही है, लेकिन इस बार के पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों की जो सबसे बड़ी उपलब्धि रही है, वह यह है कि पंचायत जैसे छोटे स्तर के चुनाव में भी बड़ी संख्या में भाजपा समर्थित उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए हैं। बढ़ती राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के दौर में यह एक सुखद संकेत है और इसके लिए प्रदेश की जनता बधाई की पात्र है।
(लेखक, मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हैं।)
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