नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय छूट या रियायतों से मुक्त कर व्यवस्था की समीक्षा की योजना बना रहा है। इसकी समीक्षा का प्रस्ताव रखा गया है, ताकि इसे व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए अधिक आकर्षक बनाया जा सके। सूत्रों ने कहा कि सरकार का इरादा ऐसी कर प्रणाली स्थापित करने का है, जिसमें किसी तरह की रियायतें न हों।
इसके साथ ही छूट और कटौतियों वाली जटिल पुरानी कर व्यवस्था को समाप्त किया जा सकता है। 2020-21 के बजट में सरकार ने नई टैक्स कर व्यवस्था लागू की थी। इसमें करदाताओं को विभिन्न कटौतियों और छूट के साथ पुरानी व्यवस्था और बिना छूट व कटौतियों वाली निचली दरों की नई व्यवस्था में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया गया था।
नई कर व्यवस्था के अनुभव के बारे में सूत्रों ने कहा कि इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि जिन लोगों ने अपना कर्ज चुका दिया है वे नई कर व्यवस्था को चुनना चाहते हैं, क्योंकि उनके पास किसी तरह की छूट का दावा करने का विकल्प नहीं है। नई कर व्यवस्था में करों को कम किए जाने से यह अधिक आकर्षक बन जाएगी।
कॉरपोरेट के लिए भी लाई गई थी व्यवस्था
इसी तरह की कर व्यवस्था कॉरपोरेट करदाताओं के लिए भी सितंबर, 2019 में लाई गई थी। इसमें कर की दरों को कम किया गया था। साथ ही छूट या रियायतों को समाप्त किया गया था। व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए एक फरवरी, 2020 को पेश नई कर व्यवस्था में ढाई लाख रुपये सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है। ढाई से पांच लाख की आय पर पांच फीसदी का टैक्स लगता है।
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