भोपाल। ऊर्जा प्रबंध, उपभोक्ताओं को गुणवत्ता युक्त बिजली देने में गुजरात देशभर में अव्वल है। वही इस मामले में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान फिसड्डी सााबित हो रहे हैं। केन्द्र सरकार की ओर से हाल ही जारी की गई देश की 52 बिजली कम्पनियों के कामकाज को लेकर जारी की गई रैंकिग रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार गुजरात की चार बिजली कम्पनियां टॉप फाइव में है। इन्हेे ए प्लस ग्रेड से नवाजा गया है। टॉप फाइव में पांचवी कम्पनी दादर व नगर हवेली की है। जबकि मध्य प्रदेश की तीन में दो और राजस्थान की तीन में एक बिजली कम्पनी का कामकाज लचर मानते हुए इन्हें मिली सी माइनस ग्रेड दी गई है। केन्द्र सरकार ने देश की डिस्कॉम कंपनियों की बिजली छीजत,बिजली आपूर्ति रखरखाव और बिजली योजनाओं पर टिप्पणी करते हुए रैकिंग रिपोर्ट जारी की है। आंकलन रिपोर्ट वर्ष 2020-21 में देश की 52 डिस्कॉम कंपनियों की वित्तीय हालातों, लाभ-हानि, प्रबंधन कुप्रबंधन और उनके कार्यों के आधार पर तैयार की गई है। देश में कुल 12 डिस्कॉम कंपनियों को ए प्लस ग्रेड, 4 डिस्कॉम कंपनियों को ए ग्रेड, तीन कंपनियों को बी, 6 कंपनियों को बी माइनस, 12 डिस्कॉम कंपनियों को सी, 20 डिस्कॉम कंपनियों को सी माइन्स ग्रेड, और 3 डिस्कॉम कंपनियों को डी ग्रेड मिली है।
मध्यप्रदेश: मध्य प्रदेश पूरब क्षेत्र और मध्य क्षेत्र डिस्कॉम को क्रमश: 47 और 48 रैंकिंग मिली है और उन्हें सी माइन्स ग्रेड मिली है। जो देश की 52 डिस्कॉम कम्पनियों में लगभग सबेस पिछड़ी कंपनियों में से है। मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र डिस्कॉम को 24 वें स्थान पर रखा है और उसे सी रेटिंग मिली है।
आंध्र और मेघालय के हाल खराब
आध्र प्रदेश की ईस्टर्न पावर और साउर्दन पावर डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी तथा मेघालय पावर डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी की परफॉर्मेंस सबसे खराब है। यह डी-ग्रेड में हैं।
रैकिंग का आधार
डिस्कॉम कम्पनियों द्वारा पावर जनरेशन कम्पनियों तथा ट्रांसमिशन कम्पनियों को भुगतान, परफॉर्मेस एक्सीलेंस, ट्रांसमिशन लॉसेज, बिलिंग एफीसिएशंसी, कॉरपोरेट गवर्ननेंस, सब्सीडी रियलाइजेशन, लाइन लॉस कम करने के डिस्कॉम तथा राज्य सरकार के प्रयास, सरकारी विभागों पर बिजली बिलों का बकाया। ऑडिटर्स के एडवर्स पैरे, बैंको एंव अन्य वित्तीय संस्थाओं का बकाया अथवा डिफाल्टर की िस्थति देखी जाती है। केन्द्र सरकार इसी आधार पर कामकाज का आंकलन कर रैंकिंग तैयार करती है तथा योजनाएं बनाती है।
ऐसे की जाती है ग्रेडिंग
85 और अधिक नंबर पाने वाली कंपनियों को ए प्लस ग्रेड 65 से 85 नंबर वाली कंपनियों को एक ग्रेड 50 से 65 नंबर पाने वाली कंपनियों को बी ग्रेड 35 से 50 नंबर पाने वाली कंपनियों को बी माइनस ग्रेड 15 से 35 नंबर पाने वाली कंपनियों को सी ग्रेड अप 15 से कम नंबर पाने वाली कंपनियों को सी माइन्स ग्रेड में रखा गया है।
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