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    ये सहाफत नहीं आसां, भादो का महीना है और भीगते हुए जाना है

  • August 12, 2022


    दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
    इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था।

    सावन-हो या भादो जब बरसते हैं तो इंसानी दिल की कैफियत का क्या पूछिये। आप में से कई कई लोग बरसते बादलों के मज़े लेने के लिए पचमढ़ी या मांडू का रुख कर लिया करते हैं। वैसे भोपाल के आसपास हलाली, घोड़ा पछाड़, सलकनपुर, अमरगढ़ , महादेवपानी, रेहटी, बुदनी वैगरह तमाम टूरिस्ट स्पॉट्स अपने शबाब पे होते हैं। सतपुड़ा की वादियों हों या विंध्य की जिस सिम्त भी नजऱ डालेंगे तो हरियाली आपको जैसे अपने मे समो लेगी।बाकी सहाफियों (पत्रकारों) को हरियाली के ये नज़ारे करने की कहां फुरसत होती है। वो तो बिचारे भीगते-भागते खबरों की उधेड़बुन मेई लगे रेते हेंगे। बाकी भोपाल में छाए घने काले बादल इन दिनों ज़रूरत से ज्यादाई मेहरबान हुए जा रय हेंगे। हाल ये हेगा साब के आज भोपाल की ओसत बारिश 42.5 इंच का आंकड़ा पूरा करके टोटल बारिश 44 इंच से उपर निकल गई। मकसद ये हेगा साब के अब जो बी बारिश ही रई है वो बोनस है। भदभदे के ये हाल हैं मियां के बोट कलब पे एक बालटी पानी तालाब में डाल दो तो उधर गेट खुल जाएं। सुबा दुपेर शाम और रात के टेम पानी ऐसा गिर रिया हेगा जैसे किसी डॉक्टर ने चार टाइम गिरने की हिदायत दे दी हो।



    बहरहाल इस बरसते भीगते मौसम में अखबारों के रिपोर्टरों को भीगने से बरसाती बी नईं बचा पा रई। मसला ये हेगा साब के बजाए बारिश के मज़े लेने के बारिश पत्रकारों के मज़े ले रई हेगी। चाए भास्कर होए के पत्रिका होए के नवदुनिया होए, नवभारत होए के राज एक्सप्रेस होए, इन सभी अखबारों के रिपोर्टर तकऱीबन रोज़ ही बारिश से तर हो रहे हैं। अब हर किसी के कने चार पहिया तो होती नई हेगी। काम तो हर हाल में पूरा करना ही पड़ेगा ना मियां। दिन में बच गए तो देर रात को ये बादल उन्हें भिगो देते हैं। कभी भीगे हुए कपड़ों में भाई लोग खबरे लिखते हैं तो कभी अलगारों बारिश में कवरेज के लिए निकल जाते हैं। सहाफत का सफर जितना आसान दिखता है उतना आसान नहीं होता हेगा साब। दुनिया जहान के दर्द को अपनी क़लम से अल्फ़ाज़ देने वाले पत्रकार अपना दर्द अपने सीने में ही दबाए रहते हैं। मौसम चाहे भयंकर ठंड का हो या भारी से भारी बारिश का सहाफी की ड्यूटी शो मस्ट गो ऑन के मोड में रहती है। चलो कोई नी साब…कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे। बहरहाल इन बारिशों में ज़्यादा भीगने ने बचना भाई लोगों और अपना खयाल रखना।

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