इन्दौर। बलात्कार से पीडि़त (rape victim), देह व्यापार से बचाई गईं महिलाएं, एसिड अटैक पीडि़त जेल से रिहा महिलाएं, तलाकशुदा (divorced), परित्यक्तता (abandonment), विधवा (widow), दहेज प्रताडि़त (dowry harassed) या फिर नारी निकेतन में रह रहीं बालिकाओं और महिलाओं (girls and women) का अब विभाग हाथ थामेगा। 12 विधाओं में पारंगत करने के साथ विभाग इन्हें सशक्त (strong) बनाने के लिए घर-घर दस्तक दे रहा।
महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) द्वारा संचालित महिला सशक्तिकरण योजना के तहत शहर की प्रताडि़त महिला वर्ग को सशक्त बनाने के लिए अभियान छेड़ा गया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर खोजबीन करने और लिस्ट बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। विभाग ने हर मोहल्ले, गली से ऐसी महिलाओं की खोजबीन करने का जिम्मा 1800 से अधिक कार्यरत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सौंपा है। विभाग इन सभी प्रताडि़त महिलाओं को न केवल सशक्त बनाएगा, बल्कि उन्हें अपनी व अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए मौके भी मुहैया कराएगा। विभाग के अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार 12 ऐसी विधाएं तय की गई हैं, जिनके माध्यम से महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी। जेल में बंद महिला कैदियों के लिए विभाग जेल के अंदर ही प्रोग्राम की तैयारी कर रहा है।
इनमें होगी सशक्त
फार्मेसी, नर्सिंग, फिजियोथैरेपी, आया, दाई, ड्यूटीशियन, शार्टटर्म मैनेजमेंट कोर्स, कुकिंग, बैंकिंग, आईटीआई पालीटेक्निक कोर्स, कम्प्यूटर आपरेटर प्रोग्रामिंग एंड असिस्सेंट, हास्पिलिटी, होटल मैनेजमेंट, इवेंट मैनेजमेंट, प्रयोगशाला सहायक, बीएड, डीएड व शासन द्वारा समय-समय पर आयोजित किए जाने वाले विभिन्न तरह के स्पेशल कोर्स में ट्रेनिंग दी जाएगी।
ये है कमी
हालांकि शासन ने प्रताडि़त महिलाओं को सशक्त करने के लिए विभाग को पहल करते हुए विभिन्न विधाओं में पारंगत करने के निर्देश तो दे दिए, लेकिन इस योजना के लिए तय ्िनयम इतने सख्त हैं कि कोई भी महिला आगे ही नहीं आ पा रही है। योजना के लिए बीपीएल कार्डधारी व गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाली महिलाओं को ही प्राथमिकता दी जा रही है, जिसके चलते विभाग को अब तक कोई भी आवेदन प्राप्त नहीं हुआ।
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