मुंबई: मुंबई की सत्र अदालत ने बेटे और बहू पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाने वाली 90 वर्षीय वृद्ध महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बहू और बेटे को घर खाली करने का आदेश दिया है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए सेशन कोर्ट ने वृद्ध महिला के 60 वर्षीय बेटे और बहू को घर खाली करने का आदेश दिया है.
अदालत में पीड़ित महिला का आरोप था कि उसके बेटे और बहू उसका मानसिक और भावनात्मक शोषण करते हैं. सेशन कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि महिला ने पूरी ज़िन्दगी अपने घर में गुजारी है. महिला का अपने घर के प्रति लगाव है, ऐसे में उसे घर से निकालना न्याय के विपरीत होगा. कोर्ट में पीड़िता ने कहा कि घर में 50 प्रतिशत हिस्सा होने के बावजूद उसका बेटा, उसके दामाद और बेटी के साथ रहने का दबाव बना रहा है.
बहू के दावे को नकारा
कोर्ट में महिला की बहू ने मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि एक महिला होने के नाते उसे संयुक्त परिवार के घर से नहीं निकला जा सकता है. जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि महिला होने का अर्थ यह नहीं कि उसे घरेलू उत्पीड़न एक्ट में अभूतपूर्व शक्तियां मिल जाती हैं. हालांकि जज ने स्पष्ट किया कि पति को अपनी पत्नी के लिए घर का इंतजाम करना चाहिए था.
पति की मौत के बाद शुरू हुआ उत्पीड़न
वृद्ध महिला ने कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा कि वर्ष 2000 में उसके पति की मौत के बाद से उसके बेटे और बहू उसका उत्पीड़न कर रहे हैं. दोनों ने मिलकर उसकी ज़िन्दगी को नर्क बना दिया है. महिला ने कोर्ट को बताया कि जब उसने बेटे से घर में अपना हिस्सा मांगा तो मारपीट शुरू कर दी. बीते सालों में महिला ने बहू और बेटे के खिलाफ मारपीट के 4 मुकदमे दर्ज कराए हैं.
शराब पीकर मारपीट करने का आरोप
पीड़िता के अनुसार उसका बेटा दारू पीकर उसके साथ मारपीट करता है. एक दिन उसके बेटे ने शराब पीकर उसके साथ मारपीट कर जबरन प्रॉपर्टी को अपने नाम करना चाहा था. बेटे के क्रूर बर्ताव के बाद उसे अपने घर में जाने से डर लगता है. हालांकि महिला के बेटे ने आरोप लगाया है कि उसने कभी अपनी मां के साथ मारपीट नहीं की. दंपत्ति का आरोप है कि वृद्ध मां ऐसा अपनी बेटी के कहने पर कर रही है.
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