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    पाकिस्तान का झोली फैलाना

  • August 10, 2022

    – डॉ. वेदप्रताप वैदिक

    पाकिस्तान की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष अभी भी उसे 1.2 बिलियन डाॅलर के कर्ज देने में काफी हीला-हवाली कर रहा है। उसकी दर्जनों शर्तें पूरी करते-करते पाकिस्तान कई बार चूक चुका है। इस बार भी उसको कर्ज मिल पाएगा या नहीं, यह पक्का नहीं है। शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बनते ही सऊदी अरब दौड़े थे। यों तो सभी पाकिस्तानी शपथ लेते से ही मक्का-मदीना की शरण में जाते हैं लेकिन इस बार शहबाज का मुख्य लक्ष्य था कि सऊदी सरकार से 4-5 बिलियन डाॅलर झाड़ लिये जाएं। उन्होंने झोली फैलाई लेकिन बदकिस्मती कि उन्हें वहां से भी खाली हाथ लौटना पड़ा। वे अब पाकिस्तान में ऐसे हालात का सामना कर रहे हैं, जैसे अब तक किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किए।

    लोगों को रोजमर्रा की खुराक जुटाने में मुश्किल हो रही है। आम इस्तेमाल की चीजों के भाव दोगुने-तिगुने हो गए हैं। बेरोजगारी और बेकारी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। इमरान खान के जलसों और जुलूसों में लोगों की तादाद इतनी तेजी से बढ़ रही है कि सरकार को कंपकंपी छूटने लगी है। पंजाब में इमरान समर्थक सरकार भी आ गई है। इससे बड़ा धक्का सत्तारूढ़ मुस्लिम लीग (न) के लिए क्या हो सकता है। इमरान का जलवा सिर्फ पख्तूनख्वाह में ही नहीं, अब पाकिस्तान के चारों प्रांतों में चमकने लगा है। हो सकता है कि अगले कुछ माह में ही आम चुनाव का बिगुल बज उठे। ऐसे में अब प्रधानमंत्री की जगह पाकिस्तान के सेनापति कमर जावेद बाजवा खुद पहल करने लगे हैं। उन्होंने सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के शासकों से अनुरोध किया है कि वे पाकिस्तान को कम से कम 4 बिलियन डाॅलर की मदद तुरंत भेजें। लेकिन दोनों मुस्लिम राष्ट्रों के शासकों ने बाजवा को टरका दिया है। वे पाकिस्तान को दान या कर्ज देने के बजाय अपनी संपत्तियां रखकर उनके बदले में शेयर खरीदने के लिए कह रहे हैं।

    पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत इतनी खस्ता होती जा रही है कि उसे बचाने के लिए उसे ऐसे कदम भी उठाने पड़ रहे हैं, जो शीर्षासन करने के समान हैं। माना तो यह जा रहा है कि काबुल में अल जवाहिरी का खात्मा करवाने के लिए पाकिस्तान ने अमेरिका की मदद इसीलिए की है कि अमेरिका इस वक्त उसे कोई वित्तीय टेका लगा दे। शहबाज शरीफ अगर थोड़ी हिम्मत करें तो वे भारत से भी मदद मांग सकते हैं। भारत यदि मालदीव, श्रीलंका और नेपाल को कई बिलियन डाॅलर दे सकता है तो पाकिस्तान को क्यों नहीं दे सकता? पाकिस्तान आखिर क्या है? वह अखिरकार कभी भारत ही था। यह मौका है, जो दोनों देशों के बीच दुश्मनी की दीवारों को ढहा सकता है और सारे झगड़े बातचीत से सुलझा सकता है।

    (लेखक, भारतीय भाषा सम्मेलन के अध्यक्ष हैं।)

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