वाशिंगटन। केंद्रीय खुफिया एजेंसी (CIA) के आतंक रोधी केंद्रीय सदस्यों की हाल ही में बंद कमरे में हुई बैठक में एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि अलकायदा व अन्य कट्टरपंथी गुटों से लड़ाई प्राथमिकता रहेगी। दूसरी तरफ, एजेंसी के कोष एवं संसाधनों को चीन से निपटने के लिए लगाया जाएगा। ड्रोन हमले में अलकायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी को मौत के घाट उतारने के बाद भी सीआईए के आतंकवाद से निपटने पर विचार नहीं बदले हैं।
एजेंसी के उप निदेशक डेविड कोहेन ने बैठक में कहा कि अमेरिका आतंकियों से निपटना जारी रखेगा, हालांकि उसकी प्राथमिकता चीन की रणनीति समझने और उसका मुकाबला करने की होगी। अफगानिस्तान से सैन्य कार्रवाई खत्म करने का एक साल पूरा होने के बावजूद राष्ट्रपति जो बाइडन और शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी आतंकवाद के खिलाफ कम और चीन-रूस द्वारा पैदा किए गए सियासी, आर्थिक व सैन्य खतरों से निपटने पर अधिक जोर दे रहे हैं।
चीन से निपटने के लिए नियुक्तियां
खुफिया एजेंसियों में कई अधिकारियों को चीन से निपटने के लिए विभिन्न पदों पर नियुक्त किया जा रहा है, जबकि इनमें से कुछ अधिकारी पहले आतंकवाद से निपटने के लिए काम कर रहे थे। अल-जवाहिरी की मौत के बाद का घटनाक्रम बताता है कि अमेरिका को एक ही समय में दोनों से निपटना होगा, क्योंकि अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के विरोध में चीन ने अमेरिका से सभी रिश्ते खत्म करने की धमकी दी है।
चीन पर नजर रखना जरूरी
चीन की बढ़ती राजनीतिक और आर्थिक महत्वाकांक्षाओं से अमेरिका लंबे समय से चिंतित है। खुफिया अधिकारियों ने कहा कि कोविड-19 की उत्पत्ति का कारण नहीं बताने के बाद उन्हें चीन पर अधिक नजर रखने की जरूरत है। वहीं, यूक्रेन में युद्ध के बाद से रूस पर नजर रखना भी जरूरी हो गया है।
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