भोपाल। देश में सात दशक बाद चीतों का आगमन हो रहा है। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में कई तैयारियां हो गई हैं। एक हफ्ते बाद चीते आएंगे तो उनके साथ तेंदुओं और हायना (लकड़बग्घों) का व्यवहार कैसा होगा, इसका जवाब जानने के लिए अध्ययन किया जाना है। इसके लिए पिछले एक साल से तेंदुओं और हायना को रेडियोकॉलर लगाने की बातें हो रही हैं। अब तक इस काम को पूरा नहीं किया जा सका है क्योंकि पार्क मैनेजमेंट के पास रेडियोकॉलर ही नहीं है। चीता प्रोजेक्ट के तहत आठ चीते (चार नर और चार मादा) मध्यप्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में आने हैं। इसके बाद पांच साल में पचांस चीतों को पूरे देश में बसाया जाएगा। अफ्रीका महाद्वीप के नामीबिया से आ रहे चीतों के साथ तेंदुओं और हायना के व्यवहार का अध्ययन करने के लिए रेडियोकॉलर पहनाए जाने हैं। इसे लेकर एक साल पहले मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यप्राणी) मध्य प्रदेश ने निदेशक भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून को पत्र लिखकर बताया था कि कूनो में दस तेंदुएं और दस हायना के व्यवहार का अध्ययन किया जाना है। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसका कारण वन्यजीव संस्थान और मध्य प्रदेश वन विभाग के अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी बताई जा रही है। इस कारण अब तक रेडियोकॉलर लगाने की कार्रवाई नहीं की गई है।
अधिकारियों के बीच चल रहा है कोल्ड वॉर
वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने बताया कि सूचना के अधिकार के तहत दस्तावेज से सामने आया कि चीतों की तेंदुओं और हायना से सुरक्षा के लिए रेडियोकॉलर लगाने का निर्णय हुआ था। पर यह प्रोजेक्ट आज तक अटका हुआ है। यह दर्शाता है कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट, एनटीसीए और वन विभाग मध्य प्रदेश सरकार में कोल्ड वॉर चल रहा है। यही कारण है कि अगले हफ्ते कूनो नेशनल पार्क में चीते आने वाले हैं, लेकिन 20 जुलाई 2022 को चीता प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली में नामीबिया और भारत के बीच समझौते में मध्यप्रदेश का कोई अधिकारी मौजूद नहीं था। इस कार्यक्रम में न तो मध्यप्रदेश के वन मंत्री और चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन दिखे, न ही कोई प्रतिनिधि। हाल ही में इंडियन ऑयल ने एनटीसीए को 50 करोड़ रुपये चीता प्रोजेक्ट के लिए देने की घोषणा हुई थी। इस कार्यक्रम में भी मध्यप्रदेश का कोई प्रतिनिधि नहीं दिखा।
वाइल्डलाइफ वार्डन ने लिखा था पत्र
प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यप्राणी) मध्य प्रदेश ने 18 अक्टूबर 2021 को निदेशक भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून को रेडियोकॉलर लागने के लिए पत्र लिखा था। इसके बाद दोबारा 25 मई 2022 को मध्यप्रदेश की तरफ से संस्थान को पत्र लिखा गया। इसमें लिखा गया कि चीता प्रोजेक्ट के तहत भारत सरकार की तरफ से दस तेंदुओं और दस हायना को रेडियोकॉलर लगाने की अनुमति दी गई थी। वन्यप्राणी शाखा में रेडियोकॉलर उपलब्ध नहीं है। अत: आपसे अनुरोध है कि दस तेंदुओं और दस हायना के लिए रेडियोकॉलर के साथ एक भेजने का अनुरोध करें।
जरूरी है जानवरों के व्यवहार का अध्ययन
इस मामले में मध्यप्रदेश प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) जसबीर सिंह चौहान ने कहा कि दूसरे महाद्वीप से चीते आ रहे हैं। उनके साथ तेंदुएं और हायना का व्यवहार कैसे रहता है, इसका अध्ययन जरूरी है। कोई विरोधी व्यवहार रहने पर उसके प्रति कदम उठाए जा सकें। हमें चीतों की संख्या बढ़ानी है। हमने रेडियोकॉलर लगाने के लिए पत्र लिखा था। अभी तक क्यों नहीं भेजा, यह तो वह ही बता सकते हैं।
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