अंतरजातीय विवाह करने वाले अटके, दो लाख खतरे में, 8 अगस्त को अगली सुनवाई
इंदौर। आर्य समाज पद्धति से विवाह करने वालों के रजिस्ट्रेशन फिलहाल अटके हुए हैं। न इनका रजिस्ट्रेशन हो पा रहा है और न ही अंतरजातीय विवाह करने वालों को दो लाख की राशि मिल पा रही है। 14 से ज्यादा सेंटर शहर में धड़ल्ले से विवाह करा रहे हैं, लेकिन इन विवाहों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही मान्यता की मुहर लगेगी।
शहर में आर्य समाज पद्धति से विवाह करने वाले 14 से अधिक सेंटर संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें धड़ल्ले से प्रेम विवाह करने वालों के साथ-साथ कम खर्च में विवाह की प्रक्रिया संपन्न कराने वाले जोड़े विवाह बंधन में बंध रहे हैं, लेकिन ग्वालियर हाईकोर्ट के एक मामले में आए फैसले के बाद आर्य समाज पद्धति से हुए विवाह रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी गई है। इंदौर में कलेक्टर कार्यालय में प्रतिदिन दो से तीन जोड़े अंतरजातीय विवाह के तहत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि की तय सीमा एक वर्ष खत्म होने को लेकर आवेदन कर रहे हैं, लेकिन उनके द्वारा आर्य समाज का मैरिज सटिर्फिकेट होने के कारण शादी को मान्यता नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते कई जोड़ों की प्रोत्साहन राशि खतरे में आ गई है।
अगली सुनवाई 2 दिन बाद
आर्य समाज के कर्ताधर्ताओं ने ग्वालियर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में न्याय के लिए गुहार लगाई है। 8 अगस्त को होने वाली सुनवाई में यदि पक्ष में फैसला आता है तो लाखों जोड़ों का विवाह वैध माना जाएगा, नहीं तो इन सभी पर सवालिया निशान खड़े हो जाएंगे। हालांकि हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बावजूद गुपचुप तरीके से इन संस्थाओं में विवाह की प्रक्रिया सुचारु रूप से संचालित की जा रही है। वहीं नगर निगम में जुगाड़ लगाकर रजिस्ट्रेशन भी करवाए जा रहे हैं।
प्रशासन नहीं दे रहा वैधता का सर्टिफिकेट
रजिस्टर्ड मैरिज करने के लिए प्रतिदिन पहुंच रहे चार से पांच जोड़ों का विवाह अपर कलेक्टर के माध्यम से कराया जा रहा है, लेकिन अपर कलेक्टर राजेश राठौर के अनुसार उनके विभाग से आर्य समाज का सटिर्फिकेट लेकर आने वालों का रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ नगर निगम के अधिकारियों को ग्वालियर हाईकोर्ट के फैसले की भी सुध नहीं है और वे सभी विवाहों को मान्यता दे रहे हैं। अग्निबाण ने जब अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने आनन-फानन में कलेक्टर कार्यालय के बाबुओं से आदेश की कॉपी मंगवाई।
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